डेस्क:दक्षिणी पूर्वी दिल्ली के तैमूर नगर स्थित नाले के पास सोमवार को अतिक्रमण हटाया गया। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर डीडीए ने दिल्ली नगर निगम, दिल्ली पुलिस व अन्य विभागों के साथ मिलकर कार्रवाई करते हुए नाले के नौ मीटर तक के इलाके में बनीं कई अवैध इमारतें और उनके ढांचे को हटाया। एक तरफ जहां इस कार्रवाई से बरसात में होने वाली मुसीबत से बचाने की कोशिश की गई है तो दूसरी तरफ नाले के बेहद नजदीक बहुत से बांग्लादेशियों के भी बस जाने की बात कही जा रही थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल को डीडीए को तैमूर नगर नाले के आसपास 5 मई को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। सुबह सात बजे से ही दिल्ली पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के सिपाही और अधिकारी तैमूर नगर गांव के पास मौजूद नाले के पास पहुंच गए थे। करीब डेढ़ घंटे बाद डीडीए अफसर मौके पर पहुंचे और सुबह करीब 8:30 बजे के बाद कार्रवाई शुरू हुई। शाम करीब 4:30 बजे तक चली कार्रवाई में तैमूर नगर नाले के पास अवैध तरीके से बनाए गए सौ से अधिक मकान और डेयरियों को ध्वस्त किया गया। इस दौरान इलाके में दिनभर गहमागहमी का माहौल रहा। स्थिति को नियंत्रित करने के दिल्ली पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के सिपाही लगातार गश्त लगाते रहे। कार्रवाई से पहले ही तैमूर नगर गांव से गुजरने वाली मुख्य सड़क के पास के दोनों रास्तों को दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया था। जिन अवैध मकानों पर कार्रवाई हुई, वहां से बिजली-पानी के कनेक्शन भी काट दिए गए।
स्थानीय निवासी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि हम लोग इस कार्रवाई के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि यह जमीन किसानों की है। हमारे दादा, परदादा समेत पुरानी पीढ़ी करीब दो सौ वर्षों से यहां रहती आई है। करीब 45 वर्ष पहले हमने यहां पक्के मकान बनाए। उन्होंने दावा किया कि जिस जगह कार्रवाई हुई उसे कपासिया मोहल्ला कहते हैं। यह विस्तारित लाल डोरा क्षेत्र में आता है। वर्ष 2007 में राज्य सरकार ने इस स्थान को अधिकृत किया था। उन्होंने कहा कि महारानी बाग में इस नाले की चौड़ाई नौ मीटर है, जबकि तैमूर नगर गांव के पास मौजूद नाले पर 27 मीटर तक चौड़ाई की जा रही है। यह पक्षपातपूर्ण और गलत है।
स्थानीय निवासियों ने कहा कि यहां लंबे समय से अवैध रूप से कई बांग्लादेशी भी रह रहे हैं। उन्होंने नाले के बिल्कुल पास अवैध तरीके से मकान बना दिए, लेकिन इस पर विभागों और प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। इनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी कई बार मांग की गई।
तैमूर नगर नाले के पास रहने वाले 29 वर्षीय अजय कामत ने बताया कि जहां कार्रवाई की गई वहां करीब 45 साल से लोग रह रहे थे। तैमूर नगर गांव के निवासियों ने नाले के पास मकान बनाए हुए थे जहां लोग किराये से भी रह रहे थे। उन्होंने दावा किया कि इस तोड़फोड़ के कारण करीब दो हजार से अधिक लोग बेघर हो गए।