नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों की उस याचिका को 29 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध करने पर सोमवार को सहमत हो गया जिसमें दिल्ली सरकार को शराब शुल्क, प्रदूषण और वित्त संबंधी कैग की 12 रिपोर्ट उपराज्यपाल को भेजने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि उन्हें विधानसभा के समक्ष पेश किया जा सके। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एक वरिष्ठ वकील ने याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष उसका उल्लेख किया।
जिसपर पीठ ने कहा, ‘कल के लिए।’ दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने अन्य भाजपा विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन के साथ मिलकर शनिवार को याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया है कि 2017-2018 से 2021-2022 तक की कैग रिपोर्ट मुख्यमंत्री आतिशी के पास लंबित हैं और एलजी के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद दस्तावेज विधानसभा में पेश करने के लिए उनके पास नहीं भेजे गए हैं। आतिशी के पास वित्त विभाग भी है।
वकीलों नीरज और सत्य रंजन स्वैन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पूर्व में भाजपा विधायकों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क किया था लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसमें कहा गया है, ‘अहम जानकारी को जानबूझकर दबाना न केवल लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है बल्कि सरकारी कार्रवाई और व्यय की उचित जांच को भी रोकता है जिससे सरकार के वित्तीय स्वामित्व, पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठते हैं।’
याचिका में कहा गया है, ‘प्रतिवादी संख्या 2 (वित्त विभाग) को निर्देश देने के लिए परमादेश/प्रमाणपत्र के नेचर में एक उचित रिट जारी करें कि वह प्रतिवादी संख्या 4 (एलजी) को भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 151(2), लेखापरीक्षा और लेखा विनियमन, 2007 के विनियमन 210(1) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम, 1991 की धारा 48 के तहत अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए एक प्रस्ताव भेजे।’