• Latest
  • Trending
  • All
  • बिजनेस
दिव्य तीर्थों के संस्थापक भगवान परशुराम

दिव्य तीर्थों के संस्थापक भगवान परशुराम

May 3, 2022
ज्योति मल्होत्रा

ट्रैवल यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा पर पाकिस्तान के लिए जासूसी का आरोप, छह गिरफ्तार

May 17, 2025
महाश्रमण

चोरी रूपी पाप से बचने का प्रयास करे मानव : मानवता के मसीहा महाश्रमण

May 17, 2025
राहुल गांधी

राहुल गांधी और आप ने उठाया ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को सूचना देने का आरोप

May 17, 2025
शशि थरूर

शशि थरूर नेतृत्व में भारत का पाक विरोधी कूटनीतिक मिशन

May 17, 2025
आम आदमी पार्टी में 13 पार्षदों का इस्तीफा: नई दिल्ली में राजनीतिक उलटफेर

आम आदमी पार्टी में 13 पार्षदों का इस्तीफा: नई दिल्ली में राजनीतिक उलटफेर

May 17, 2025
केदारनाथ धाम जाते वक्त हेलीकॉप्टर हुआ क्रैश

केदारनाथ धाम जाते वक्त हेलीकॉप्टर हुआ क्रैश

May 17, 2025
एनआईए

आईएसआईएस मॉड्यूल के दो आतंकी गिरफ्तार

May 17, 2025
रूस-यूक्रेन के बीच पहली शांति वार्ता बेनतीजा, युद्धविराम पर नहीं बनी सहमति

रूस-यूक्रेन के बीच पहली शांति वार्ता बेनतीजा, युद्धविराम पर नहीं बनी सहमति

May 17, 2025
उदयपुर में नींबू विवाद से भड़का सांप्रदायिक तनाव

उदयपुर में नींबू विवाद से भड़का सांप्रदायिक तनाव

May 17, 2025
चिराग पासवान

बिहार चुनाव से पहले चिराग पासवान का ‘बहुजन भीम संवाद’, एनडीए को दिखाएंगे ताकत

May 17, 2025
तहव्वुर राणा

26/11 आरोपी तहव्वुर राणा को तिहाड़ जेल में विशेष निगरानी में रखा गया

May 17, 2025
प्रशांत किशोर

बढ़ रहा बिहार का CD रेशियो, प्रशांत किशोर ने उठाए थे सवाल

May 17, 2025
  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
Saturday, May 17, 2025
  • Login
ON THE DOT
  • मुख्य समाचार
  • देश
    • राज्य-शहर
  • विदेश
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • जीवंत
  • ENGLISH
No Result
View All Result
ON THE DOT
  • मुख्य समाचार
  • देश
    • राज्य-शहर
  • विदेश
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • जीवंत
  • ENGLISH
No Result
View All Result
ON THE DOT
No Result
View All Result
Home आराधना-साधना

दिव्य तीर्थों के संस्थापक भगवान परशुराम

ON THE DOT TEAM by ON THE DOT TEAM
May 3, 2022
in आराधना-साधना
Reading Time: 1 min read
A A
0
दिव्य तीर्थों के संस्थापक भगवान परशुराम

परशुराम जी का प्रारम्भिक नाम ‘राम’ था, जो कालांतर में महादेव से परशु प्राप्त होने के बाद परशुराम हो गया।… उनका समूचा जीवन अनुपम प्रेरणाओं व उपलब्धियों से भरा हुआ है। सतयुग और त्रेता के संधिकाल में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र व प्रदोष काल में महान शिव भक्त भृगुकुल शिरोमणि महर्षि परशुराम जी का अवतरण हुआ था। समाज को शास्त्र और शस्त्र के समन्वय का अनूठा सूत्र देने वाले भगवान परशुराम ऋषियों के ओज और क्षत्रियों के तेज दोनों का अद्भुत संगम माने जाते हैं। कारण कि उनके माता-पिता, दोनों ही विलक्षण सिद्धियों से सम्पन्न थे। जहां उनके ब्राह्मण पिता जमदग्नि को अग्नि तत्व पर नियंत्रण पाने की सिद्धि हासिल थी, वहीं क्षत्रिय कुल में जन्मीं मां रेणुका को जलतत्व पर नियंत्रण पाने का वरदान महर्षि अगत्स्य से मिला था। मां-पिता के इन दिव्य गुणों के साथ जन्मे परशुराम जी का प्रारम्भिक नाम ‘राम’ था, जो कालांतर में महादेव से परशु प्राप्त होने के बाद परशुराम हो गया।

परशुराम जी की गणना महान पितृभक्तों में होती है। उनका समूचा जीवन अनुपम प्रेरणाओं व उपलब्धियों से भरा हुआ है। वे न सिर्फ समस्त दिव्यास्त्रों के संचालन में पारंगत थे, बल्कि योग, वेद, नीति तथा तंत्र कर्म में भी निष्णात थे। अपने समय के शस्त्रविद्या के महानतम गुरु परशुराम ने ही द्वापर युग में भीष्म, द्रोणाचार्य व कर्ण को भी युद्धविद्या का महारथी बनाया था। प्राचीन भारतीय मार्शल आर्ट ‘कलरीपायट्टु’ व ‘वदक्कन कलारी’ के जनक भी वे ही माने जाते हैं। यही नहीं, जैसे देवनदी गंगा को धरती पर लाने का श्रेय राजा भगीरथ को जाता है, वैसे ही ब्रह्मपुत्र जैसे उग्र महानद को धरती पर लाने का श्रेय परशुराम जी को जाता है। पौराणिक उद्धरणों के अनुसार केरल, कन्याकुमारी व रामेश्वरम जैसे दिव्य तीर्थों की स्थापना भगवान परशुराम ने ही की थी।

कहा जाता है कि उन दिनों राजमद में मदांध महिष्मती के हैहयवंशीय क्षत्रिय शासक कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन के क्रूर अत्याचारों से चारों ओर त्राहि त्राहि मची हुई थी। शक्ति के मद में चूर सहस्त्रार्जुन एक दिन ऋषि जमदग्नि के आश्रम में आ पहुंचा। ऋषि ने गोमाता कामधेनु की कृपा से अपने राजा का सेना समेत भव्य स्वागत किया। यह देख कार्तवीर्य ललचा गया और कामधेनु मांग बैठा। ऋषि जमदग्नि के इनकार से कार्तवीर्य ने क्रोध में भरकर आश्रम पर धावा बोलकर उसे पूरी तरह नष्ट-भ्रष्ट कर दिया तथा जमदग्नि पर हमला बोलकर उन्हें भी मार डाला। जब इसका पता परशुराम जी को चला तो उनके क्रोध की सीमा न रही। उन्होंने समूची पृथ्वी से क्षत्रिय राजाओं के संहार की शपथ उठा ली और महिष्मती पर धावा बोलकर अपने परशु से कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन को उसके समूचे कुल समेत मृत्युलोक पहुंचा दिया।

अक्षय तृतीया को जन्म लेने के कारण उनकी शस्त्र शक्ति भी अक्षय थी और शास्त्र-संपदा भी। उनका परशु अपरिमित शस्त्र-शक्ति का प्रतीक था, जो उनको भगवान शंकर ने शस्त्र विद्या की परीक्षा में सफल होने पर पारितोषिक रूप में प्रदान किया था। जहां ‘राम’ मर्यादा व लोकनिष्ठा का पर्याय माने जाते हैं, वहीं परशु समेत राम ‘परशुराम’अनीति विमोचक शस्त्रधारी।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending News

  • 2024 में खुलेंगे राम मंदिर के दरवाजे, 1000 साल तक कायम रहेगी भव्यता

    2024 में खुलेंगे राम मंदिर के दरवाजे, 1000 साल तक कायम रहेगी भव्यता

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • रामनवमी से पहले ही राम लला का सूर्याभिषेक देख भक्त हुए निहाल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • स्वामी चिदम्बरानन्द महाराज के अवतरण महोत्सव व सिवा ट्रस्ट वार्षिकोत्सव का आयोजन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • 24 अगस्त से फिर शुरू हो रही है रामायण सर्किट रेल यात्रा

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • भारत से विभाजन के समय पाकिस्तान में थे 20 फीसदी हिंदू, धर्मांतरण और उत्पीड़न के बाद अब कितने बचे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • बैलेंसिंग लाइफ ही जिंदगी को खुशहाल बना सकती है: रचना हिरण

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मुख्य समाचार
  • देश
  • विदेश
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • जीवंत
  • ENGLISH
Call us: +91 98330 26960
No Result
View All Result
  • मुख्य समाचार
  • देश
    • राज्य-शहर
  • विदेश
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • जीवंत
  • ENGLISH

Copyright © 2020 ON THE DOT

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In