डेस्क:दूध और तेल के दाम बढ़े, महंगाई की मारदेशभर में महंगाई एक बार फिर आम जनता के लिए परेशानी का सबब बन गई है। खासकर दूध और खाद्य तेल के दामों में लगातार तेजी देखी जा रही है। जून 2021 से अब तक दूध की कीमतों में करीब 13 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसका सीधा असर दही, पनीर, छाछ जैसे अन्य डेयरी उत्पादों पर भी पड़ रहा है, जो तेजी से महंगे हो रहे हैं।
खाने के तेलों की बात करें तो सितंबर 2023 से इनके दामों में 10 से 20 रुपये प्रति लीटर तक का उछाल आया है। सूरजमुखी, सरसों और मूंगफली के तेल की कीमतें आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। हालांकि दालों, फलों और सब्जियों की कीमतों में फिलहाल कोई खास बदलाव नहीं देखा गया है, जिससे कुछ हद तक राहत बनी हुई है।
क्या कहता है डेटा?
- खाद्य तेल: सूरजमुखी का तेल 130 से बढ़कर 159.2 रुपये/किलो, सरसों का तेल 152 से 170.8 रुपये/किलो और मूंगफली का तेल 182 से बढ़कर 190.4 रुपये/किलो हो गया है।
- डेयरी उत्पाद: डेयरी प्रोडक्ट्स का मूल्य सूचकांक 122 से बढ़कर 152.1 अंक तक पहुंच गया है।
- दालें: उड़द 117, मूंग 111.1, मसूर 87.7, चना 86.3 रुपये प्रति किलो के आसपास स्थिर हैं।
दाम बढ़ने की वजह क्या है?
दूध
गर्मियों में दूध उत्पादन में गिरावट आती है, जबकि खपत बढ़ जाती है। इसके साथ ही डेयरी कंपनियों को स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन पर भी अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। 2022-23 में देश में 230.58 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ था, लेकिन प्रति व्यक्ति उपलब्धता अभी भी मात्र 459 ग्राम प्रतिदिन है।
खाद्य तेल
लोग अब अधिकतर रिफाइंड की जगह शुद्ध तेलों जैसे सरसों और मूंगफली का सेवन कर रहे हैं। अप्रैल में पाम ऑयल के आयात में 53% की गिरावट आई है। भारत अब भी विश्व का सातवां सबसे बड़ा तेल आयातक बना हुआ है। 2001 में जहां प्रति व्यक्ति खपत 8.2 किलो/साल थी, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 23.5 किलो/साल तक पहुंच गया है।
फल-सब्जियां क्यों बनी हुई हैं सस्ती?
इस बार की अच्छी फसल और गर्मी के मौसम में बढ़ी हुई आवक के चलते फलों और सब्जियों के दाम स्थिर बने हुए हैं। साथ ही, सरकार ने प्याज सहित कई जरूरी वस्तुओं का पर्याप्त भंडारण पहले से ही सुनिश्चित किया है, जिससे बाजार में आपूर्ति बनी हुई है।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्री और जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि गर्मी में पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता घट जाती है, जिससे दूध की कीमतें बढ़ती हैं। वहीं खाद्य तेलों की कीमतें मुख्यतः उत्पादन पर निर्भर करती हैं, और भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं है। वैश्विक बाज़ार में अस्थिरता और सप्लाई चेन में किसी भी तरह की बाधा से भविष्य में दाम और चढ़ सकते हैं।
निष्कर्ष:
जहां एक ओर आरबीआई यह दावा कर रही है कि औसत महंगाई नियंत्रण में है, वहीं दूध और खाद्य तेल जैसी रोज़मर्रा की जरूरतों की चीज़ों के दाम तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इससे आम आदमी की थाली और जेब—दोनों पर दबाव साफ नजर आ रहा है। आने वाले दिनों में सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती हो सकती है।