श्रीनगर:जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी शेख आदिल मुश्ताक को पिछले महीने आतंकवादियों से कनेक्शन के मामले में अरेस्ट किया गया था। अब केंद्र शासित प्रदेश के गृह विभाग ने आदिल मुश्ताक को निलंबित करने का आदेश दिया है। प्रशासन की जांच में आदिल मुश्ताक को लेकर खुलासा हुआ है कि उसने आतंकियों की मदद की थी, सबूतों को मिटाने का प्रयास किया था। यही नहीं टेरर फंडिंग के एक आरोपी आतंकी से उसे बताने के एवज में घूस भी ली थी। इसी केस को लेकर उसे अरेस्ट किया गया था और फिर निलंबित कर दिया गया।
डीएसपी शेख आदिल मुश्ताक को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों उमर आदिल डार और मुजम्मिल जहूर के खिलाफ जांच के बाद अरेस्ट किया गया था। इन दोनों के पास से टेरर फंड से जुटाई गई 32 लाख रुपये की रकम बरामद हुई थी। इसी केस की पुलिस ने आगे जांच की तो पता चला कि आदिल शेख ने एक आरोपी को बचाने के लिए 2.7 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। इस मामले की जांच का जिम्मा पहले शेख आदिल मुश्ताक पर ही था। यही नहीं आदिल मुश्ताक के खिलाफ जब जांच का पहरा बैठा तो कई खुलासे एक के बाद एक हुए। उसने कई लोगों को ब्लैकमेल किया था। इसके अलावा कुछ लोगों से उसने सरकारी जमीन पर कब्जा बनाए रखने के नाम पर बड़ी रकम ऐंठ ली थी।
सोशल मीडिया पर था सिलेब्रिटी और था आतंकियों का मददगार
वह अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल के लिए भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहा था। आदिल मुश्ताक सोशल मीडिया पर भी खासा सक्रिय रहता था और उसके 44,700 फॉलोअवर ट्विटर पर हैं। बता दें कि बीते तीन सालों में यह दूसरा मामला है, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस के किसी डीएसपी को अरेस्ट किया गया है। इससे पहले डीएसपी देविंदर सिंह को 2020 में आतंकियों को मदद करने के चलते अरेस्ट किया गया था। जांच आगे बढ़ने पर कई सबूत मिले तो देविंदर सिंह को बर्खास्त ही कर दिया गया था।
फोन से मिटा दिए थे सबूत, फिर भी पकड़ा गया डीएसपी आदिल
शेख आदिल मुश्ताक पर कई महिलाओं को ब्लैकमेल कर उनका यौन उत्पीड़न करने का भी आरोप है। 21 सितंबर को पुलिस जब उसे गिरफ्तार करने पहुंची थी तो वह दीवार कूदकर भागने लगा था। यही नहीं उसने सारे सबूतों को मिटाने की कोशिश करते हुए अपना फोन ही फॉर्मेट करा लिया था। हालांकि पुलिस ने अपनी जांच में कई वीडियो बरामद कर लिए हैं, जिससे उसकी करतूतों का खुलासा होता है। उसने टेरर फंडिंग के आरोपी की जांच में मदद की थी। यही नहीं आतंकियों की फाइनेंसिंग से जुड़े मुजम्मिल जहूर को भी मदद की थी। इसके लिए उसने अपने जूनियर पुलिस वालों को गलत बयान देने के लिए भी तैयार किया था।