देश की सबसे बड़ी वामपंथी राजनीतिक पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीआई(एम), ने अपने संगठनात्मक ढांचे में बड़ा बदलाव करते हुए अनुभवी नेता एमए बेबी को पार्टी का नया महासचिव नियुक्त किया है। केरल से ताल्लुक रखने वाले एमए बेबी पार्टी के पुराने और विचारधारा के प्रति समर्पित नेताओं में गिने जाते हैं। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब पार्टी न सिर्फ राष्ट्रीय राजनीति में कमजोर होती जा रही है, बल्कि अपने पारंपरिक गढ़ों में भी संगठनात्मक मजबूती की तलाश में है।
वरिष्ठ नेताओं की विदाई और नई पीढ़ी का आगमन
महासचिव पद पर यह बदलाव पार्टी की आंतरिक नीतियों में पारदर्शिता और नियमों के अनुपालन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। पार्टी ने अपने तयशुदा 75 वर्ष की आयु सीमा के नियम को सख्ती से लागू करते हुए कई वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया है। इन नेताओं में प्रकाश करात, बृंदा करात, माणिक सरकार और सुभाषिनी अली जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं।
हालांकि, 79 वर्षीय केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को इस नियम से विशेष छूट दी गई है और वे पार्टी की सर्वोच्च इकाई पोलितब्यूरो के सदस्य बने रहेंगे। यह छूट उनकी वर्तमान राजनीतिक भूमिका और केरल में पार्टी के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए दी गई है।
पोलितब्यूरो और केंद्रीय समिति में नई नियुक्तियां
पार्टी के छह दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान संगठनात्मक ढांचे में व्यापक बदलाव किए गए।
पोलितब्यूरो में 8 नए सदस्य शामिल किए गए हैं, जिनमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व है:
- जितेंद्र चौधरी – त्रिपुरा
- यू वासुकी और के बालाकृष्णन – तमिलनाडु
- अमरा राम – राजस्थान से लोकसभा सांसद
- श्रीदीप भट्टाचार्य – पश्चिम बंगाल
- विजू कृष्णन – किसान नेता
- मरियम धवले – महिला संगठन की महासचिव
- आर. अरुण कुमार – पूर्व छात्र नेता
इन नियुक्तियों से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि पार्टी अब नई पीढ़ी को नेतृत्व में लाना चाहती है, साथ ही क्षेत्रीय विविधता को भी प्राथमिकता दी गई है।
केंद्रीय समिति में भी 30 नए चेहरों को शामिल किया गया है। अब यह समिति 84 सदस्यों की हो गई है, जिसमें युवा, महिलाएं और विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमियों से आए नेता शामिल हैं। यह परिवर्तन पार्टी की नई राजनीतिक दिशा और समावेशी संगठन के संकेतक हैं।
पार्टी में दुर्लभ घटनाक्रम: गुप्त मतदान
सम्मेलन के अंतिम दिन एक असामान्य स्थिति उत्पन्न हुई जब महाराष्ट्र के ट्रेड यूनियन नेता डी एल कराड़ ने केंद्रीय समिति का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। आमतौर पर ये पद आम सहमति से भर दिए जाते हैं, लेकिन इस घोषणा के चलते पार्टी को गुप्त मतदान कराना पड़ा। परिणामस्वरूप कराड़ को मात्र 31 वोट मिले, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी अब नए और व्यापक नेतृत्व की ओर बढ़ना चाहती है।
एमए बेबी की प्राथमिकताएं और भविष्य की राह
नए महासचिव एमए बेबी ने अपनी नियुक्ति के बाद कहा,
“यह सिर्फ संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय चुनौती है। देश में जो राजनीतिक परिस्थिति बन रही है, उसमें पार्टी को मजबूत दखल देना होगा।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पार्टी कांग्रेस केवल संगठनात्मक पुनर्गठन के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी की भूमिका को पुनर्जीवित करने के लिए है।
सीपीएम की गिरती स्थिति और तीन बड़ी चुनौतियां
सीपीएम की स्थिति पिछले दो दशकों में लगातार कमजोर हुई है।
- 2004 में पार्टी ने 44 लोकसभा सीटें जीती थीं, जबकि
- 2024 में यह संख्या घटकर महज 4 रह गई है, जिनमें से तीन सहयोगी दलों के समर्थन से हासिल की गई हैं।
अब पार्टी के पारंपरिक गढ़ माने जाने वाले पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में भी वह अपनी सशक्त उपस्थिति खो चुकी है।
एमए बेबी की अगुवाई में पार्टी के सामने तीन प्रमुख चुनौतियां हैं:
- पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में पार्टी संगठन का पुनर्निर्माण
- केरल में पार्टी की सत्ता में तीसरी बार वापसी का प्रयास
- उत्तर भारत में पार्टी का नया जनाधार खड़ा करना
सीपीआई(एम) के लिए यह परिवर्तन केवल नेतृत्व का नहीं, बल्कि एक नई राजनीतिक सोच और रणनीति की शुरुआत है। अब देखने की बात यह होगी कि एमए बेबी जैसे अनुभवी नेता की अगुवाई में पार्टी कैसे अपने खोए हुए जनाधार को पुनः प्राप्त करती है, और राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाने की दिशा में कदम बढ़ाती है।
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