डेस्क:शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली संस्था सेबी ने लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) के आईपीओ के लिए नियमों को सख्त कर दिया है। इसमें लाभ की आवश्यकता को शामिल किया गया है और प्रमोटर्स के बिक्री प्रस्ताव (ओएफएस) को लेकर 20 प्रतिशत की सीमा तय की गई है। नियमों को सख्त करने का उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करते हुए अच्छे ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ वाले एसएमई को लोगों के पैसे जुटाने का अवसर प्रदान करना है। यह कदम एसएमई के निर्गमों की बढ़ती संख्या के बाद उठाया गया है, जिसने महत्वपूर्ण निवेशक भागीदारी को बढ़ावा दिया है।
सेबी ने लाभ मानदंडों के संबंध में कहा कि आईपीओ लाने की योजना बनाने वाले एसएमई का पिछले तीन वित्त वर्षों में से कम-से-कम दो के लिए न्यूनतम परिचालन लाभ (ब्याज, मूल्यह्रास और कर या ईबीआईटीडीए से पहले की कमाई) एक करोड़ रुपये होना आवश्यक है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चार मार्च को जारी अधिसूचना के अनुसार इसके अलावा, एसएमई आईपीओ के तहत शेयरधारकों को बिक्री पेशकश के तहत अपनी हिस्सेदारी बेचने को कुल निर्गम आकार के 20 प्रतिशत पर सीमित किया गया है। इसके अतिरिक्त, विक्रेता शेयरधारकों को अपनी मौजूदा होल्डिंग्स के 50 प्रतिशत से अधिक बिक्री की अनुमति नहीं होगी।
एसएमई आईपीओ में गैर-संस्थागत निवेशकों (एनआईआई) के लिए आवंटन पद्धति में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए शेयर बाजार के मुख्य मंच पर आईपीओ के लिए अपनाए गए दृष्टिकोण के अनुरूप बनाया जाएगा। कॉरपोरेट अनुपालन फर्म एमएमजेसी एंड एसोसिएट्स के संस्थापक और साझेदार मकरंद एम जोशी ने कहा, ‘‘इसके अलावा सेबी ने एसएमई आईपीओ के लिए न्यूनतम आवेदन आकार को बढ़ाकर दो लॉट कर दिया है। इससे एसएमई आईपीओ को लेकर अनावश्यक अटकलों पर विराम लगेगा। इससे भोले-भाले निवेशकों के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी, जो आमतौर पर शेयर की बढ़ती कीमत को देखकर निवेश करते हैं।’’ एसएमई आईपीओ में सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्य (जीसीपी) के लिए आवंटित राशि कुल निर्गम आकार का 15 प्रतिशत या 10 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, पर सीमित की गई है।
सेबी के अनुसार, एसएमई IPO से प्राप्त आय का उपयोग प्रर्वतकों, प्रवर्तक समूह या संबंधित पक्षों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए करने की अनुमति नहीं होगी। एसएमई आईपीओ के लिए डिटेल बुक (डीआरएचपी) को 21 दिन के लिए सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। जारीकर्ताओं को समाचार पत्रों में घोषणाएं प्रकाशित करने और डीआरएचपी तक आसान पहुंच के लिए एक क्यूआर कोड शामिल करने की जरूरत होगी।