इस बार लोकसभा चुनावों के दौरान झूठा और भ्रामक कंटेंट चुनाव आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से रहेगा. आयोग इससे निपटने के लिए तैयारी तो कर रहा है लेकिन आखिर कितनी बड़ी है यह चुनौती?लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा जल्द ही होने की संभावना है और चुनाव आयोग सभी तैयारियों में जुटा हुआ है. आयोग हर बार जिन चुनौतियों की तैयारी करता है, इस बार उनके अलावा उसके सामने एक और बड़ी चुनौती है. आयोग ने फैसला किया है कि वह पहली बार सोशल मीडिया पर झूठा कंटेंट पकड़ने और उस पर कदम उठाने के लिए सैकड़ों कंट्रोल रूम बनाएगा. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने गुरुवार को पत्रकारों को बताया कि आयोग की टीमें लगातार सोशल मीडिया को मॉनिटर करेंगी और उनसे क्या माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, यह विश्लेषण भी करेंगी. क्या कदम उठाएगा आयोग कुमार ने बताया कि इन टीमों को जब भी कोई ऐसी सामग्री नजर आएगी जो तथ्यात्मक रूप से गलत है तो वो जैसा भी कदम उठा सकती हैं, उठांएगी. ऐसी कार्रवाई के तहत सभी को समान अवसर देने के तंत्र को भंग करने वाले, सांप्रदायिकता फैलाने वाले या गलत कंटेंट बनाने वालों को नोटिस जारी किए सकते हैं या उनके खिलाफ पुलिस से शिकायत की जा सकती है. कुमार ने बताया कि वेब एड्रेसों को ब्लॉक भी किया जा सकता है और सोशल मीडिया कंपनियों से झूठे कंटेंट को हटाने के लिए अनुरोध भी किया जा सकता है. हालांकि कुमार ने यह भी कहा, “लेकिन हम इस पर सावधानी से आगे बढ़ेंगे, क्योंकि अभिव्यक्ति की आजादी, आलोचना और गड़बड़ी फैलाने में सिर्फ एक पतली लकीर का फर्क होता है” भारत में फेक न्यूज के प्रसार और विशेष रूप से चुनावों पर उसके असर को लेकर कई बार चिंताएं व्यक्त की जा चुकी हैं. जनवरी 2024 में विश्व आर्थिक मंच ने अपनी 'ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट' में कहा था कि झूठी जानकारी अगले दो सालों में पूरी दुनिया के लिए एक खतरा बन कर उभरेगी
रिपोर्ट में भारत पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया और कहा गया कि भारत में झूठी जानकारी का खतरा सबसे ज्यादा है. 2019 में भी लोकसभा चुनावों में झूठी जानकारी के काफी इस्तेमाल की खबरें आई थीं. देखना होगा कि चुनाव आयोग इस बार इस खतरे से निपट पाता है या नहीं. क्या मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा? इस बार चुनावों में 96 करोड़ से ज्यादा मतदाता हिस्सा लेंगे. मतदान के लिए पूरे देश में 10 लाख से ज्यादा मतदान केंद्र बनाए गए हैं. करीब 2,400 राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव लड़ने के लिए पंजीकरण कराया है. नई दिल्ली में यूं तो चुनाव आयोग के दफ्तर में 400 से 450 लोग काम करते हैं लेकिन इन चुनावों को कराने के लिए आयोग के कर्मचारियों की संख्या बढ़ कर करीब डेढ़ करोड़ हो जाएगी. चाहे 15,000 फुट पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र तक वोटिंग मशीनों को ले जाना हो या 80 से ज्यादा उम्र के मतदाताओं के घर जा कर उनका मत लेना हो, यही कर्मचारी यह सब करेंगे. आयोग को उम्मीद है कि इस बार 2019 के 67 प्रतिशत से भी ज्यादा मतदाता अपना मत डालेंगे. (रॉयटर्स से जानकारी के साथ)