कई बार लोग अर्थ का अनर्थ भी करते हैं… मैं खुद भी एक फेमिनिस्ट हूँ लेकिन फालतू के तर्क मुझे कभी पसंद नहीं आये.. नारीवादी के नाम पर अश्लीलता फैलाना, लूटना, खुद को लाइम लाइट पर रखने के लिए कुछ भी करना, इसकी मैं हमेशा ही विरोधी रही… मेरे मन में ऐसी औरतों के लिए कोई इज़्ज़त नहीं… एक बात सोचिये जो औरत सड़क पर समान हक़ के लिए लड़ रही हो, स्क्रीन पर भाषण दे रही हो, उसको ही मैं एक सीट के लिए लड़ते देखती हूँ जबकि वो बिल्कुल फिजिकली फिट है… फिर सीट के लिए क्यूं ही लड़ना थोड़ी देर खड़े ही हो कर जाये… ऐसे कई सारे किस्से हैं इतना लिख पाना भी संभव नहीं… समानता की बात करना आसान है लेकिन समानता को दिलों-दिमाग से स्वीकार करना उतना ही कठिन…
अब दूसरी एक बात, कुछ फेमिनिस्ट औरतें अक्सर पुरुष प्रधान समाज को गालियाँ बकते दिखाई देती हैं लेकिन वे लोग बिना पुरुष के रह भी नहीं सकतीं.. वह भी प्यार के नाम पर उनका टारगेट सिर्फ वेल स्टेबलिस्ड पुरुष ही होते हैं… चाहे वो पुरुष मैरिड हों या अनमैरिड उन्हें फर्क नहीं पड़ता… क्यों आप तो समानता में विश्वासी हैं, खुद सक्षम हैं फिर करिये एक नाकाम पुरुष के साथ प्यार… बनाइये एक नाकाम पुरुष को कामयाब सफल इंसान… लेकिन यह लोग यह नहीं कर सकते, प्यार इतनी सस्ती चीज नहीं है… कि जब चाहा तब हो गया… सिर्फ फिजिकली और फाइनेंसियली भूख मिटाने के लिए रिश्ता बनाना एक सच्चे नारीवादी का उसूल कभी नहीं हो सकता… यह दिखावे के फेमिनिस्ट लोग बस स्क्रीन लाइफ ही जीते हैं, शायद ही प्रैक्टिकल लाइफ में दो/चार लोग भी साथ देते होंगे… पुरुषों को भी ऐसे हेड टू टो तक दिखावटी और बनावटी औरतों से बच कर अपना घर बचाना चाहिए… इन औरतों के बहकावे में आ कर अपना घर बर्बाद मत करिये…
प्रेम एक ऐसी चीज है जो कब, कहाँ, किस के संग हो जाये बोल पाना मुश्किल है… इसका शादीशुदा होने या न होने से भी कोई मतलब नहीं… लेकिन किसी को और उसके पोजीशन का सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना और उसका घर तोड़ने का कार्य करना उसे हम प्रेम नहीं फायदा लूटना कहते हैं… कम से कम शादीशुदा पुरुषों को तो इस जाल में फंसाने से छोड़ देना चाहिए… उन फेमिनिस्टों का तो बस यह है कि न हम खुद घर बसाएंगे और न हम किसी को घर बसाने देंगे… और शादीशुदा पुरुष को भी थोड़ा समझना चाहिए, अगर पैसा ज़्यादा है तो इस तरह परायी स्त्री पर पैसा मत उड़ाया करिये… दान करने के लिए बहुत सी जगह हैं… गिफ्ट के नाम पर मेकअप, कपड़े, ओर्नामेंट्स ऐसी चीज़ों पर खुद को तबाह मत करिये… इससे बेहतर है घर – परिवार में यही खर्च करिये आपको मान – सम्मान भी बराबर मिलेगा और घर बना रहेगा।
कुछ चीज़ों की हमारी समाज में स्वीकृति नहीं है इसका अलग तर्क है.. प्रेम हो जाना कोई गलत बात नहीं लेकिन उसके चलते किसी का घर तोड़ना वह ज़रूर गलत बात है… हो जाता है एक्स्ट्रामेरिटल अफेयर इसके कई सारे कारण होते हैं… रिश्ते की परतों को हम जितना कम खोलेंगे उतना ही अच्छा है क्यूंकि यह बहुत जटिल स्थिति है… मैं समझने के लिए खुद को ही उदाहरण के तौर पर लेती हूँ मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, मानिये कभी अगर मुझे किसी से प्यार हो गया, मैं प्यार को तो गलत नहीं ठहरा सकती लेकिन वह स्थिति बिल्कुल सही है, इसको सही कह कर जस्टिफाई भी नहीं कर सकती… कई बार स्थिति – परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं रहती…
मैं ऐसे कई लोगों को जानती हूँ जिन्हें शादीशुदा होते हुए भी प्यार हुआ, वहाँ प्यार होने का कारण बहुत अलग रहा… उनको उनकी हद्द और हक़ दोनों ही पता है… वह घर तोड़ने का काम नहीं करते… उनको न वहाँ से पैसा चाहिए न दूसरा कुछ बस थोड़ा अटेंशन, थोड़े पल खुशी के साथ… उन लोगों ने जब भी इस रिश्ते के बारे में बातें की तो खुद ही माना प्यार को तो गलत नहीं कह सकते, लेकिन यह रिश्ता सही है यह भी नहीं कह सकते, ऐसे रिश्ते को उन्होंने जस्टिफाई नहीं किया… बस हो गया अब क्या करें… ऐसे रिश्ते में दर्द के आलावा और कुछ नहीं, किसी अपने का न मिलने का दर्द, उसके ऊपर अपना हक़ न जाता पाने का दर्द… ऐसी स्थिति में सही गलत को हम जज नहीं करते और न जज कर सकते हैं… लेकिन सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए वेल सेटल्ड लोगों के संग ही प्यार हो जाना, या यूं कहें प्यार करना, यह प्यार के और उन नारीवादिओं के मुँह पर तमाचा ही है… मुझे इन लोगों का प्यार रील लगता है टेंक्निकल खेल मात्र जैसे ही प्यार ख़त्म तो स्क्रीनशॉट खेलना शुरू…
नोट – पुरुष प्रधान समाज को ले कर टिप्पणी अलग है … हमारा समाज क्या है यह हम सबको पाता है… वह लड़ाई अलग है… बात यहाँ सिर्फ सो कॉल्ड नारीवादियों की है… मेरी नज़र में स्त्री हो या पुरुष जो सही नहीं वह सही नहीं… और प्रेम के नाम पर फायदा लूटना और घर तोड़ना किस हद तक सही है…