डेस्क:भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ संदिग्ध ‘फ्रंट-रनिंग’ ट्रांजैक्शन से संबंधित मामलों के निपटान के लिए छह इकाइयों ने 3.49 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। सेबी के साथ मामले का निपटारा करने वाली इकाइयों में समीर कोठारी, जितेन्द्र एन केवलरमानी, कुंतल गोयल, जितेंद्र एन केवलरमानी एचयूएफ, दीपिका जे केवलरमानी और पल्लवी शैलेश नायक शामिल हैं। बता दें कि फ्रंट-रनिंग से मतलब शेयर बाजार से जुड़ी जानकारी का अपने फायदे के लिए गलत इस्तेमाल करना है।
ये है अन्य शर्तें
सैटलमेंट रकम के अलावा सेबी की समिति ने मामले को इसके लिए अन्य शर्तें भी रखीं। इसमें अवैध लाभ के रूप में अर्जित 2.06 करोड़ रुपये की राशि को वापस लौटाना शामिल है। साथ ही संदिग्ध लेनदेन की तिथि से लेकर वापसी के लिए सैटलमेंट एप्लीकेशन दाखिल करने की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा जिसका भुगतान समीर कोठारी, कुंतल गोयल और जितेंद्र एन केवलरमानी द्वारा किया जाना है। इसके अलावा, छह इकाइयां स्वेच्छा से स्वयं को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से खुद को अलग करेंगी।
डेटा साझाकरण नीति पेश
इसके साथ ही सेबी ने शेयर बाजारों, निपटान निगमों और डिपॉजिटरी के लिए एकसमान डेटा साझाकरण नीति पेश की। इसमें डेटा को सार्वजनिक रूप से साझा करने योग्य और शोध उद्देश्यों के लिए गैर-सार्वजनिक डेटा के रूप में वर्गीकृत किया गया है। नीति का उद्देश्य शोध के लिए डेटा की पहुंच को गोपनीयता की चिंताओं के साथ संतुलित करना, प्रतिभूति बाजार में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। नियामक ने इससे पहले फरवरी 2022 में प्रतिभूति बाजार डेटा पहंच के लिए एक नीति पेश की थी।
एनएफओ से हासिल राशि के निवेश की समयसीमा तय
हाल ही में सेबी ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) द्वारा नई कोष पेशकश (एनएफओ) के जरिये जुटाये गई राशि के निवेश के लिए समयसीमा तय करने तथा एएमसी कर्मचारियों के हितों को यूनिटधारकों के हितों के साथ जोड़ने के संबंध में नियामकीय ढांचे को उदार करने का फैसला किया है।