नई दिल्ली:गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ को कम करने के लिए कूडृा निस्तारण की प्रकिया को और तेज कर दिया गया है। लैंडफिल साइट पर मई के अंत तक यहां 12 और आधुनिक मशीनें लगाई जाएगी जबकि आठ मशीनें काम कर रही हैं। इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन आठ मशीनों के माध्यम से प्रतिदिन एक हजार टन कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है। उनका कहना है कि लैंडफिल साइट को वर्ष 2023 के अंत तक जीरों किया जाना है।
जानकारी के मुताबिक गाजीपुर लैंडफिल साइट पर गत दिनों गर्मी बढ़ने के साथ अचानक आग लग गई थी। आग की घटना की वजह से आस-पास की कालोनियों में धुंआ फैल गया था और रात भर लोग प्रदूषण की वजह से परेशान रहे थे। इस घटना के बाद से साइट पर बायोमाइनिंग की प्रकिया में तेजी लाने के लिए कदम उठाने शुरू किए गए। इंजीनियरिंग विभाग का कहना है कि लैंडफिल साइट पर कचरे के निस्तारण का कार्य शुरू किया गया था और वर्ष 2019-20 में दो मशीनों के साथ यहां बायोमाइनिंग की जारी थी जो धीरे-धीरे 20 ट्रोमल मशीनों तक पहुंच गया था। इसके बाद यहां 12 मेगावाट बिजली उत्पादन वाला वेस्ट टू एनर्जी संयंत्र भी स्थापित किया गया।
इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एनजीटी के आदेश पर गाजीपुर लैंडफिल साइट के कूड़े को वर्ष 2023 तक जीरो किया जाना है। इसके लिए अब यहां उच्च क्षमता वाली अत्याधुनिक मशीनें लगाने की योजना बनाई गई , जिसके तहत पहले चरण में आठ मशीनें यहां स्थापित की गई और एक हजार टन कूड़ृे का निस्तारण किया जा रहा है। दूसरे चरण में 12 मशीनों को और स्थापित किया जाना है जो मई 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि लैंडफिल साइट पर करीब 50 लाख मीट्रिक टन पुराने कूड़े की बायोमाइनिंग के लिए एक एजेंसी के साथ अनुबंध करने की प्रकिया भी चल रही है।