कच्छ: जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ का वर्ष 2025 का महामहोत्सव ‘मर्यादा महोत्सव’ गुजरात के कच्छ जिले में स्थित भुज में आयोजित होने वाला है। उस महामहोत्सव के लिए तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान के वर्तमान अधिशास्ता, महातपस्वी, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ निरंतर प्रवर्धमान हैं। आचार्यश्री का मर्यादा महोत्सव के लिए भुज में 30 जनवरी को मंगल प्रवेश होगा, उससे पूर्व कच्छ जिले के अनेक गांवों को आचार्यश्री की चरणरज से पावन होने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। रविवार को प्रातः आचार्यश्री सापेडा से गतिमान हुए। 26 जनवरी का दिन होने के कारण पूरे भारत भर में लोगों में अत्यधिक उत्साह देने को मिल रहा था। हर जगह देशभक्ति गीत सुनाई दे रहे थे तो स्कूली बच्चे अपने-अपने ड्रेस में तैयार होकर झण्डोत्तोलन में भाग लेने उत्साह के साथ पहुंच रहे थे। विहार के दौरान रतनाल नामक गांव में आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में झण्डोत्तोलन का कार्यक्रम समायोजित किया गया। वहां आचार्यश्री ने समुपस्थित जनता व विद्यार्थियों को पावन पाथेय भी प्रदान किया। आचार्यश्री लगभग चौदह किलोमीटर का विहार कर कुकमा में स्थित के.वी. राठौड़ विद्यालय में पधारे।
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित जनता को पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि आज 26 जनवरी का दिन है। भारत के लिए 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) का और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) का दिन महत्त्वपूर्ण होता है। पूरे भारत में जगह-जगह सरकारी, गैर-सरकारी आदि स्थानों पर ध्वजारोहण, भाषण, परेड आदि होते हैं। विधान, मर्यादा, व्यवस्था राष्ट्र के लिए भी आवश्यक है तो संस्थाओं व संगठनों के लिए नियम, कायदा, कानून आदि की व्यवस्था होती है। संविधान बहुत महत्त्वपूर्ण चीज होती है। आज संविधान के अनुसार देश चल भी रहा है।
कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और प्रेस आदि अपना-अपना काम कर रहे हैं। इस विधान से देश कितना अच्छा चल सकता है और यदि इन विधानों का लंघन किया जाए तो कितनी कठिनाईयां आ सकती हैं। संविधान बनाने वाले भी कितने प्रज्ञावान होते हैं, जो अपनी प्रज्ञा से विधान का निर्धारण करते हैं। ऐसे विधान जो सभी द्वारा पाले जाते हैं। भारत लोकतांत्रिक प्रणाली से चलने वाला राष्ट्र है। राजतंत्र की प्रणाली हो या लोकतंत्र सभी में प्रजा की भलाई, व्यवस्था को सुचारू चलाने, दुष्टों पर शासन करे और सज्जनों की रक्षा का दायित्व होता है। टीम होती है तो सारे स्कीम और कार्य सुचारू चल सकता है। लोकतंत्र में न्यायपालिका इसीलिए होती है कि यदि कोई बने हुए नियम का पालन नहीं करता है तो उसे दण्डित भी किया जाता है। इसी प्रकार हमारे धर्मसंघ में भी नियम बना हुआ है, उसके विपरीत कार्य करने वालों पर दण्डात्मक कार्यवाही का विधान है। एक आदमी को दण्ड मिलता है तो दूसरे को भी यह प्रेरणा और भय हो सकता है कि नियम का पालन नहीं करने वाले को दण्डित किया जाता है, इसलिए नियम का अच्छा पालन हो सकता है। इसी प्रकार अनुशासन भी हर जगह आवश्यक है।
अनुशासन के बिना विकास बाधित हो सकता है। चाहे स्कूल हो, घर हो, समाज हो, संगठन हो या राष्ट्र हो अनुशासन सभी जगह आवश्यक होता है। संगठन में अनुशासन है तो संगठन का विकास हो सकता है। अपराध कोई भी करे तो उसे दण्डित किया जा सकता है।
सत्ता सेवा के लिए प्राप्त होती है। नैतिकता, ईमानदारी को अपने जीवन को बनाए रखने वाले लोग भी मानों किसी तपस्वी की भांति हो सकते हैं। शासन में रहने वाले को संयम रखना चाहिए और स्वयं को जनता का सेवक समझने का प्रयास करना चाहिए। राष्ट्र की भलाई सर्वोपरि है। पार्टी भी है, लेकिन पार्टी का साध्य भी राष्ट्र की सेवा करना है। देश के सभी नागरिक शांति में रहें। सभी लोग प्रेम, मैत्री से रहें। पड़ोसी देशों में शांति और सहयोग की भावना रहे। धर्म, अध्यात्म, नैतिकता और अहिंसा के रास्ते पर चलें तो यह गणतंत्र दिवस भी सभी को सत्प्रेरणा देने वाला बन सकता है।
कुकमा ग्राम पंचायत के सरपंच श्रीमती रसिलाबेन के पति श्री उत्तम भाई राठौड़, केवी राठौड़ विद्यालय के अध्यक्ष श्री हरगोविंदभाई चौहान तथा श्री देवराज चौपड़ा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। नन्हें-मुन्हें बालकों ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। अपने संसारपक्षीय क्षेत्र में गुरुदर्शन करने वाले मुनि अनंतकुमारजी ने भी अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।