नई दिल्ली:भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख वी. नारायणन ने 2025 को “गगनयान वर्ष” घोषित करते हुए इसे इसरो के लिए बेहद अहम साल बताया है। उन्होंने कहा कि अब तक 7200 टेस्ट पूरे किए जा चुके हैं और करीब 3000 टेस्ट अभी बाकी हैं। इस समय गगनयान कार्यक्रम की तैयारियां दिन-रात युद्ध स्तर पर चल रही हैं। गगनयान कार्यक्रम को दिसंबर 2018 में मंजूरी मिली थी। इसका उद्देश्य भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता प्रदान करना है। इस कार्यक्रम के तहत इंसानों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा और दीर्घकालिक मानव अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए आवश्यक तकनीकों को विकसित किया जाएगा।
वी. नारायणन ने कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “यह साल हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमने इसे ‘गगनयान वर्ष’ घोषित किया है। इंसानों को भेजने से पहले तीन मानव रहित मिशनों की योजना बनाई गई है, जिनमें से पहला मिशन इसी साल दिसंबर में लॉन्च होगा।” उन्होंने बताया कि इसरो ने अब तक 7200 से अधिक टेस्ट पूरे कर लिए हैं और लगभग 3000 परीक्षण अभी शेष हैं और काम 24 घंटे चल रहा है।
इसरो प्रमुख ने हाल ही में पूरे हुए SpaDeX मिशन की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि इस तकनीकी प्रदर्शन मिशन के लिए केवल 10 किलो ईंधन निर्धारित किया गया था, लेकिन यह मिशन महज 5 किलो ईंधन में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया, जिससे शेष ईंधन का उपयोग आगामी प्रयोगों के लिए किया जा सकेगा। SpaDeX मिशन, इसरो की वेबसाइट के अनुसार, एक किफायती तकनीकी प्रदर्शन मिशन है जिसमें दो छोटे सैटेलाइट को PSLV से प्रक्षेपित कर अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन किया गया।
वी. नारायणन ने आगे कहा कि 2025 में कई अहम मिशनों की योजना बनाई गई है। इसमें NASA-ISRO सिंथेटिक अपर्चर रडार सैटेलाइट भी शामिल है, जिसे भारत के स्वदेशी लॉन्च वाहन से लॉन्च किया जाएगा। इसके अलावा एक कॉमर्शियल मिशन और संचार सैटेलाइट भी इस साल के कार्यक्रम में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2025 तक “व्योममित्र” नामक मानव जैसे रोबोट के साथ पहला मानव रहित मिशन लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद दो और मानव रहित मिशन होंगे।
वी. नारायणन ने पत्रकारों को बताया, “इस साल लगभग हर महीने एक लॉन्च निर्धारित है। साल के अंत तक पहला मानव रहित मिशन ‘व्योममित्र’ के साथ लॉन्च किया जाएगा। उसके बाद दो और मानव रहित मिशन होंगे और 2027 की पहली तिमाही तक हम पहले मानव को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।” इसरो की ये तैयारियां भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही हैं। गगनयान मिशन के सफल क्रियान्वयन के साथ भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन जाएगा जो स्वदेशी तकनीक से अंतरिक्ष में इंसान को भेजेगा।
उन्होंने यहां राममोहन मिशन के एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से कहा, “उदाहरण के लिए हमारे देश को ही लें – हमारे पास 11,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, और फिर उत्तरी सीमा है। हमें विशाल सीमा की निगरानी करनी होती है और सरकार हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगन से काम कर रही है।”
नारायणन ने कहा, “फिलहाल, कक्षा में हमारे 57 सैटेलाइट हैं, जो मौसम के पूर्वानुमान से लेकर सबसे दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा पहुंचाने तक, विभिन्न मुद्दों पर ताजा जानकारी और डेटा प्रदान करके जनता की सेवा कर रहे हैं।” उन्होंने पीएसएलवी-सी61 मिशन की हालिया विफलता को इसरो की कामयाबी में एक अपवाद बताया। उन्होंने कहा कि यह झटका किसी भी तरह से इसरो के भविष्य के कार्यक्रमों जैसे गगनयान को प्रभावित नहीं कर सकता है।