हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब राज्य के किसे जिले में इस तरह का तनाव फैला हो। पिछले कुछ महीने में ऐसा कई बार हुआ कि अलग-अलग जिलों में सांप्रदायिक हिंसाएं हुईं, दो पक्ष के लोग आमने-सामने आ गए, तोड़फोड़ हुई और पत्थरबाजी हुई। राज्य में पिछले 6 महीने में 4 सांप्रदायिक घटनाएं हो चुकी हैं। जाहिर है ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर गहलोत सरकार से चूक कहां हो रही है? आखिर क्यों समाज में जहर फैलाने वाली इन घटनाओं को वक्त रहते नहीं रोक पा रहा प्रशासन?
क्यों बन रहे बार-बार कर्फ्यू जैसे हालात?
राज्य के लोगों ने पिछले कुछ दिनों में कर्फ्यू का सामना कई बार किया है। बार-बार कर्फ्यू जैसे हालात आखिर क्यों बन रहे हैं? यह सवाल बेहद अहम है। बता दें कि उदयपुर में हुई हत्या के बाद उपजे तनाव के मद्देनजर सात थाना क्षेत्रों में लगा कार्फ्यू बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। जिले के धान मंडी, घंटाघर, हाथीपोल, अम्बामाता, सूरजपोल, भूपालपुरा एवं सविना थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू जारी है। कई जगहों पर इंटरनेट सेवा भी बाधित हुई है। कर्फ्यू की वजह से आम नागरिकों को बड़ी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
पुलिस पर तलवार से हमला
उदयपुर जिले में प्रशासन अभी कर्फ्यू में अपनी मुस्तैदी दिखा ही रही थी कि इधर राजसमंद जिले के भीम कस्बे में भीड़ में से एक युवक ने पुलिसकर्मी को तलवार से हमला कर घायल कर दिया। उदयपुर हत्याकांड के विरोध में राजसमंद जिला बंद के दौरान भीम में भी विभिन्न संगठनों की ओर से प्रदर्शन किया जा रहा था, तभी यह घटना हुई। माहौल बिगड़ने पर पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। भीम वहीं जगह है जहां से उदयपुर हत्याकांड के आरोपियों को पकड़ा गया था।
सीएम के पास है गृहमंत्रालय
पिछले कुछ दिनों में जिस तरह राजस्थान में सांप्रदायिक घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है उससे यह कहा जा सकता है कि शायद यहां सबकुछ ठीक नहीं है या फिर सरकार की पकड़ा कानून व्यवस्था पर ढीली पड़ चुकी है। पिछले ही महीने जोधपुर में सांप्रदायिक तनाव की बड़ी घटना हुई थी। उस वक्त इंटेलिजेंस की नाकामी पर भी सवाल उठे थे। कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि सबसे अहम गृह मंत्रालय उन्हीं के पास है।
बीते 6 माह में इन जिलों में लगे कर्फ्यू
इसी साल अब तक गहलोत सरकार के शासनकाल में 4 सांप्रदायिक घटनाएं हो चुकी हैं। गंभीर बात यह भी है कि इनमें से तीन घटनाओं के बाद पुलिस-प्रशासन को कर्फ्यू तक लगाना पड़ा है। मार्च के महीने में भीलवाड़ा के मांडल में एक मंदिर का ताला टूटने पर दो पक्ष आमने-सामने आ गए थे। जिसके बाद तनाव फैला था।
इसके बाद 2 अप्रैल को नव संवत्सर के जुलूस के दौरान दो पक्षों में पत्थरबाजी हुई थी और कई दिनों तक कर्फ्यू लगाने की नौबत आ गई थी। अगले ही महीने जोधपुर में जोधपुर में धार्मिक झंडे को लगाने को लेकर दो पक्षों के बीच बड़ा बवाल हुआ था। ताजा घटनाक्रम 28 जून 2022 का है जब उदयपुर में एक युवक की हत्या कर दी गई। इसके घटना के बाद भी हालात बड़ी तनावपूर्ण हैं।
खराब कानून व्यवस्था अहम मुद्दा
गहलोत सरकार राजस्थान में साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। हैरानी की बात है कि इस कार्यकाल के दौरान अब तक आधा दर्जन से ज्यादा सांप्रदायिक घटनाएं हो चुकी है। खराब कानून व्यवस्था को लेकर गहलोत सरकार हमेशा ही आलोचकों के निशाने पर रही है। जयपुर, मालपुरा, छबड़ा जैसी जगहों पर पूर्व में सांप्रदायिक तनाव फैले थे। लेकिन लगता सरकार ने पूर्व की घटनाओं से बहुत कुछ नहीं सीखा। जिसका परिणामस्वरूप राज्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति हो रही है।