नई दिल्ली:पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सिख धर्म की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि इसका इस्तेमाल ढाल के तौर पर नहीं कर सकते हैं। सिख कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर गुरु ग्रंथ साहिब का दुरुपयोग करने वाले प्रदर्शनकारियों को कोई छूट नहीं मिलेगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और जस्टिस लपीता बनर्जी की खंडपीठ ने यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘कई अवसरों के बावजूद, न तो पंजाब सरकार और न ही केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ धरना-प्रदर्शन पर ध्यान दे रहा है। खासतौर से मोहाली-चंडीगढ़ बॉर्डर पर इससे यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है।
कोर्ट ने साफ कर दिया कि कुछ लोग प्रदर्शन स्थल पर गुरु ग्रंथ साहिब रखे हुए थे, यह पंजाब सरकार के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई न करने का कोई कारण नहीं बनता। अदालत ने कहा, ‘केवल यह तथ्य कि कुछ प्रदर्शनकारी गुरु ग्रंथ साहिब को ढाल के तौर पर रखकर पीछे छिप रहे हैं, यह राज्य को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई न करने का कोई कारण नहीं होता। खासतौर से जो धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग कर रहे हों।’ कोर्ट की ओर से यह भी कहा गया कि मुट्ठी भर लोग बैठे हुए हैं। इससे सड़क अवरुद्ध होने के कारण ट्राई-सिटी (चंडीगढ़, मोहाली और पंचकुला) के यात्रियों और निवासियों को असुविधा हो रही है।
अदालत ने जताई कड़ी नाराजगी
प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग को लेकर पिछले साल एक एनजीओ (अराइव सेफ सोसायटी) ने याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की। याचिका में कहा गया कि धरने की वजह से पंजाब के मोहाली और चंडीगढ़ के बीच यात्रा करने वालों को काफी असुविधा हो रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याद दिलाया कि उसने पहले भी प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को तलब किया था। हालांकि, पंजाब और चंडीगढ़ प्रशासन दोनों इस मुद्दे पर अपने पैर खींच रहे हैं। यह ठीक नहीं है। कोर्ट ने कहा, ‘जो तस्वीरें रिकॉर्ड में रखी गई हैं, उनसे साफ है कि कोई बड़ी सभा नहीं हुई है। गांव के ज्यादातर लोग इन दिनों फसल की कटाई में व्यस्त हैं और सड़क की रुकावट हटाने का यह सबसे उपयुक्त समय है।’