गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन गुरु और शिष्य के संबंध की गरिमा को दर्शाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली यह पर्व गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा के नाम से भी प्रसिद्ध है।
गुरु पूर्णिमा 2025 की तिथि और मुहूर्त:
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जुलाई 2025, प्रातः 01:36 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जुलाई 2025, प्रातः 02:06 बजे
शुभ मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:10 AM – 04:50 AM
- प्रातः संध्या: 04:30 AM – 05:31 AM
- अभिजीत मुहूर्त: 11:59 AM – 12:54 PM
- विजय मुहूर्त: 02:45 PM – 03:40 PM
- गोधूलि मुहूर्त: 07:21 PM – 07:41 PM
- सायाह्न संध्या: 07:22 PM – 08:23 PM
- अमृत काल: 12:55 AM (11 जुलाई) – 02:35 AM (11 जुलाई)
- निशीथ काल: 12:06 AM (11 जुलाई) – 12:47 AM (11 जुलाई)
गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व:
गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने चारों वेदों का ज्ञान मानव जाति को प्रदान किया था। उन्हें ‘प्रथम गुरु’ की उपाधि प्राप्त है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा, आभार और समर्पण प्रकट करते हैं।
गुरु को जीवन में ईश्वर से भी ऊपर स्थान दिया गया है, क्योंकि वह शिष्य को अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। यह दिन ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक प्रगति के लिए अत्यंत शुभ होता है।
गुरु पूर्णिमा की पूजन-विधि:
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो पवित्र नदियों में स्नान करें, अन्यथा स्नान के जल में गंगा जल मिलाएं और स्नान करते समय सभी पवित्र नदियों का स्मरण करें।
- स्नान के पश्चात घर के मंदिर में दीपक जलाएं।
- इस दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है।
- सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
- विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
- भगवान विष्णु को सात्विक भोग अर्पित करें। भोग में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें क्योंकि विष्णु भगवान तुलसी के बिना भोग स्वीकार नहीं करते।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और मनन-चिंतन में समय बिताएं।
- महर्षि वेदव्यास जी की भी विशेष पूजा करें और उनका ध्यान करें।
- अपने गुरु का ध्यान कर उनका आशीर्वाद लें।
- पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी महत्व है। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें, जिससे दोषों से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन जरूरतमंदों की सहायता करना भी पुण्यकारी होता है।
उपसंहार:
गुरु पूर्णिमा आत्मचिंतन, आत्मशुद्धि और गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पावन अवसर है। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि जीवन में गुरु का मार्गदर्शन कितना अनमोल है। इसलिए इस दिन अपने गुरु के प्रति सम्मान प्रकट करें और उनके उपदेशों का अनुसरण करते हुए जीवन में प्रगति करें।