नई दिल्ली:हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को राजधानी में नए बनने वाले सार्वजनिक स्थानों पर ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय की सुविधा सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश उस जनहित याचिका पर दिया है, जिसमें स्वच्छ भारत अभियान के के तहत 15 अक्तूबर, 2017 को दिशा-निर्देशों के तहत ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अगल शौचालय का प्रबंध करने का प्रावधान है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार को यह बताने के लिए कहा है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग शौचालय बनाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं।
पीठ ने सरकार को यह भी बताने के लिए कहा है कि राजधानी में अब तक ट्रांसजेंडरों के लिए बनाए गए शौचालयों की संख्या का खुलासा भी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सरकार को यह भी बताने के लिए कहा है कि नए बनाए जा रहे सार्वजनिक स्थानों पर ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय का निर्माण किया जा रहा है या नहीं। पीठ ने कहा है कि यदि नहीं बनाया जा रहा है तो इसके उचित कारणों के बारे में बताने को कहा है। उच्च कोर्ट ने जसमीन कौर छाबरा की ओर से अधिवक्ता रूपिंदर पाल सिंह द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि लिंग (जेंडर) से पड़े हटकर प्रत्एक व्यक्ति का अलग सार्वजनिक शौचलाय का इस्तेमाल सहित बुनियादी मानवाधिकार है। याचिका में कहा गया है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति को यह सुविधा नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है।
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि समाज कल्याण विभाग ने ट्रांसजेंडर के लिए अलग शौचालय के निर्माण के लिए 21 फरवरी, 2021 को नोटिस जारी किया। साथ ही कहा कि जब तक अलग शौचालय नहीं बन जाता है तब तक ट्रांसजेंडर व्यक्ति दिव्यांगों के लिए बने शौचालय का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 29 जुलाई तय करते हुए सरकार को स्थिति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।