रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की मदद से भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली है। रविवार को किए गए इस परीक्षण ने भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर दिया है, जिनके पास हाइपरसोनिक हथियार विकसित करने की क्षमता है।
हाइपरसोनिक मिसाइल: क्या है खास?
हाइपरसोनिक मिसाइलों की गति ध्वनि की गति से 5 गुना अधिक होती है, जिसे मैक 5 भी कहा जाता है। ये प्रति सेकंड 1 मील की गति तक पहुँच सकती हैं। इनमें मार्ग बदलने की क्षमता होती है, जिससे ये अत्यधिक गतिशील और हवाई रक्षा प्रणालियों को चकमा देने में सक्षम होती हैं।
हाइपरसोनिक मिसाइल दो प्रकार की होती हैं:
- हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV): रॉकेट से लॉन्च किया जाता है।
- हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (HCM): हाई-स्पीड इंजन या स्क्रैमजेट तकनीक पर आधारित होती हैं।
इन मिसाइलों को वायुमंडल में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे ये पंखों और एयरोडायनामिक कंट्रोल सर्फेस के माध्यम से दिशा बदल सकती हैं।
तकनीकी चुनौतियाँ
हाइपरसोनिक मिसाइलों के डिजाइन में मुख्य चुनौतियाँ थर्मल शील्डिंग, स्थिरता, स्क्रैमजेट तकनीक, और लक्ष्य भेदने की सटीकता हैं। तेज गति के कारण अत्यधिक तापमान की समस्या होती है, जिसे संभालना तकनीकी रूप से जटिल है।
भारत की उपलब्धि
इस हाइपरसोनिक मिसाइल को 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विस्फोटक सामग्री ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे ‘ऐतिहासिक क्षण’ बताया और DRDO के वैज्ञानिकों को बधाई दी।