रांची:झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा के बजट सत्र में भाग लेने के लिए हाई कोर्ट से अनुमति मांगी थी। हाई कोर्ट ने 28 फरवरी को उनको विधानसभा के बजट सत्र में भाग लेने की अनुमति देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में उनकी इस याचिका पर सुनवाई होनी थी तो हेमंत सोरेन के वकील की तरफ से यह याचिका वापस ले ली गई। हेमंत सोरेन के वकील ने इसका कारण भी बताया है।
क्यों वापस ली याचिका
सोमवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए हेमंत सोरेन की याचिका पेश की गई। इस दौरान सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए क्योंकि बजट सत्र दो मार्च को ही खत्म हो गया। सिब्बल ने कहा कि मैं इस याचिका को वापस लेना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि हालांकि, याचिका में उठाए कानून के प्रश्न पर सुनवाई की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी और कहा कि कानून का प्रश्न सुनवाई के लिए छोड़ दिया गया है।
सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 31 जनवरी को धनशोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया था। वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं। रांची में एक विशेष अदालत ने 22 फरवरी को सोरेन को विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन को पांच फरवरी को विधानसभा में विश्वास मत में भाग लेने की अनुमति दे दी थी। सोरेन के खिलाफ धन शोधन के आरोप कथित तौर पर अवैध रूप से अचल संपत्ति रखने और भूमि माफिया से कथित संबंध रखने से जुड़े हैं।