हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास में पूर्णिमा तिथि (प्रदोषकाल व्यापिनी) को होलिका दहन किया जाता है। इसके अगले दिन, यानी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को रंग (दुल्हैंडी) का पर्व मनाया जाता है। इस बार 13 मार्च को होलिका दहन होगा और 14 मार्च को रंग का त्योहार मनाया जाएगा।
होलिका दहन का मुहूर्त और विशेष ज्योतिषीय जानकारी
ज्योतिषाचार्य विभोर इंदूसुत के अनुसार, 13 मार्च को उदय तिथि चतुर्दशी है, लेकिन सुबह 10:35 बजे पूर्णिमा तिथि का आरंभ होगा। 14 मार्च को दोपहर 12:24 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी।
13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से रात 11:29 बजे तक भद्रा का समय भी रहेगा। शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में होलिका दहन नहीं किया जाता है। इसलिए होलिका दहन रात 11:29 बजे भद्रा के समाप्त होने के बाद किया जाएगा।
होलिका दहन के लिए शुभ योग और पूजा विधि
ज्योतिषाचार्य भारत ज्ञान भूषण के अनुसार, 13 मार्च को पूर्णिमा तिथि के साथ-साथ धृति योग, भूल योग, वणिज करण, विष्टि करण, और पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र का योग भी बन रहा है। इस दिन शुभ मुहूर्त में होलिका पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।
13 मार्च को सुबह 10:35 से लेकर रात 11:29 तक भद्रा रहेगी। भद्रा के समाप्त होने के तुरंत बाद होलिका दहन करना उचित होगा।
होलिका पूजन और भस्म का तिलक
ज्योतिष अन्वेषक अमित गुप्ता ने बताया कि होलिका पूजन 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे के बाद करना श्रेष्ठ है। पूजन विधि के दौरान कच्चे सूत को बांधते हुए तीन बार परिक्रमा करें। फिर गुलाल, अक्षत, फल, पुष्प आदि से होलिका की पूजा करें और उसकी भस्म को अपने घर लेकर जाएं। इस भस्म को घर में छिड़क सकते हैं और इसके साथ तिलक भी लगाना चाहिए, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा।
सारांश:इस वर्ष होलिका दहन का समय 13 मार्च को रात 11:29 बजे के बाद है, जब भद्रा समाप्त हो जाएगी। सभी को इस शुभ अवसर पर प्रेम और भाईचारे के साथ त्योहार मनाने का आह्वान किया गया है।