नई दिल्ली। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधू व भिवानी के तोशाम से विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी ने कांग्रेस छोड़ दी है। अब दोनों ने भाजपा जॉइन कर ली है। इसके साथ ही हरियाणा की सियासत के तीन लालों की विरासत अब भाजपा के झंडे के नीचे आ गई है। हरियाणा गठन के बाद लंबे समय तक राज करने वाले तीन लालों देवीलाल, बंसीलाल व भजनलाल के इर्द-गिर्द ही सूबे की राजनीति घूमती थी। अब इन परिवारों के लाल अपना राजनीतित भविष्य तराशने के लिए विरासत को छोड़कर नए ठिकाने खोज रहे हैं।
किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी के बीजेपी जॉइन करके के बाद हरियाणा के तीन लालों के वारिस अब भाजपा के झंडे के तले हैं। उनसे पहले भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई और देवीलाल के बेटे रंजीत सिंह चौटाला भाजपा का हिस्सा काफी पहले ही बन चुके थे। यही नहीं चौधरी देवीलाल के बेटे अजय सिंह चौटाला और पोते दुष्यंत चौटाला अपनी पार्टी जन नायक जनता पार्टी के जरिये भाजपा को समर्थन देकर साढ़े चार साल तक हरियाणा की सत्ता में भागीदार भी रहे। लोकसभा चुनाव से पहले ये गठबंधन टूटा। अब किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी जो लंबे समय से कांग्रेस में हाशिये पर थी, अपने राजनीतिक वजूद को बचाने के लिए भाजपा के झंडे के नीचे आई हैं।
भजनलाल के परिवार से हैं कुलदीप बिश्नोई
सबसे पहले बात करते हैं हरियाणा की राजनीति के एचडी कहे जाने वाले भजनलाल के परिवार के लाल कुलदीप बिश्नोई और पोते भव्य बिश्नोई की। पिता भजन लाल के देहांत के बाद कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस में अपनी राजनीतिक पारी को आगे बढ़ा रहे थे। कुलदीप बिश्नोई दो बार सांसद और चार बार विधायक रह चुके हैं। उनकी पत्नी रेणुका विश्नोई भी दो बार विधायक रह चुकी हैं। कांग्रेस में दाल नहीं गलने पर कुलदीप ने हरियाणा जनहित कांग्रेस नाम से नई पार्टी बनाई। लेकिन गठन के पहले ही विधान सभा चुनाव में औंधे मुंह गिरी। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई के सामने भी अपना और भजन लाल परिवार का वजूद बचाने की चुनौती खड़ी हो गई। जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो दोनों पति, पत्नी वर्ष 2022 में भाजपा में शामिल हो गए।
देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला को भाजपा से मिली संजीवनी
चौधरी देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह चौटाला हमेशा हाशिये पर ही रहे। ओम प्रकाश चौटाला परिवार से वे अलग-थलग रहे। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सिरसा से विधायक बने और भाजपा को समर्थन दिया। उन्हें मनोहर लाल सरकार में बिजली मंत्री बनाया गया। रणजीत सिंह को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विधिवत रूप से भाजपा का सदस्य बना कर उन्हें हिसार लोकसभा से चुनाव लड़वाया। ये अलग बात है कि वह चुनाव हार गए, लेकिन भाजपा में आकर उन्होंने अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित कर लिया। देवीलाल के दूसरे बेटे ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अजय सिंह चौटाला की अपने भाई अभय सिंह चौटाला से अनबन हुई और चौटाला परिवार टूट गया।
कैसे ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में भी लगी सेंध
अजय सिंह चौटाला और ओम प्रकाश चौटाला उस समय जेबीटी भर्ती घोटाले में सजा काट रहे थे। अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला ने जन नायक जनता पार्टी बनाई और पहले ही विधानसभा चुनाव में कमाल करते हुए 10 सीटें जीतीं। तब साल, 2019 के विधान सभा चुनाव में मनोहर लाल खट्टर सरकार को दोबारा सत्ता में आने के लिए पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो दुष्यंत चौटाला किंग मेकर बने। उन्होंने बीजेपी को समर्थन दिया जिसके बदले में बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला को डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाया। दुष्यंत चौटाला गठबंधन की सरकार में डिप्टी चीफ मिनिस्टर के रूप में साढ़े चार साल तक बन रहे।
किरण चौधरी, श्रुति चौधरी के लिए भाजपा ही आखिरी पनाह
हरियाणा की राजनीति के तीसरे बड़े लाल बंसीलाल जिन्हें हरियाणा में विकास पुरुष के नाम से भी जाना जाता है। उनकी पुत्रवधू किरण चौधरी तथा उनकी पोती श्रुति चौधरी अब वजूद बचाने को भाजपा में हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्य मंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से किरण चौधरी का हमेशा 36 का आंकड़ा रहा। अपने इस्तीफे की वजह भी किरण चौधरी ने हुड्डा को ही बताया है। अब देखना ये होगा कि किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी कैसे कब तक अपना और अपने दिग्गज राजनीतिक परिवार का नाम और साख जिंदा रख पाती हैं।