आज का दिन भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में ‘ब्लैक डे’ के रूप में याद किया जाएगा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित नए टैरिफ के फैसले का असर पूरी दुनिया के शेयर बाजारों पर पड़ा है। इसके चलते घरेलू बाजार में भारी हाहाकार मच गया।
सेंसेक्स आज लगभग 4000 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि निफ्टी में 5 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट भारतीय शेयर बाजार के इतिहास की सबसे बड़ी गिरावटों में से एक मानी जा रही है।
ट्रंप के इस फैसले के बाद कई देशों के बीच व्यापारिक तनाव और अनिश्चितता बढ़ गई है, जिसका सीधा असर निवेशकों की भावनाओं पर पड़ा। इस गिरावट ने हर्षद मेहता स्कैम और 2008 की वैश्विक मंदी जैसे दौर की यादें ताजा कर दी हैं।
अब तक भारतीय शेयर बाजार में ऐसी बड़ी गिरावटें सिर्फ पांच बार देखने को मिली हैं। आइए एक-एक करके उन ऐतिहासिक गिरावटों पर नज़र डालते हैं:
हर्षद मेहता स्कैम (1992)
भारतीय शेयर बाजार को पहली बार बड़ा झटका हर्षद मेहता घोटाले के सामने आने पर लगा था। यह घोटाला 4000 करोड़ रुपये से अधिक का था।
28 अप्रैल 1992 को सेंसेक्स एक ही दिन में 570 अंक यानी 12.7 प्रतिशत तक गिर गया था। उस समय यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट मानी गई थी।
केतन पारेख स्कैम (2001)
स्टॉक ब्रोकर केतन पारेख के वित्तीय घोटाले सामने आने के बाद एक बार फिर भारतीय बाजार में अफरातफरी मच गई थी।
सेंसेक्स में उस दिन 176 अंक यानी 3.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई थी। साथ ही, उसी समय गुजरात में आए भूकंप ने निवेशकों की चिंता और बढ़ा दी थी।
2004: कांग्रेस की अप्रत्याशित वापसी
2004 के आम चुनावों में एनडीए की वापसी की उम्मीद थी, लेकिन परिणाम इसके उलट आए और यूपीए (कांग्रेस नेतृत्व) की सरकार बनी।
इस राजनीतिक अस्थिरता के कारण 17 मई 2004 को सेंसेक्स 842 अंक या 11.1 प्रतिशत तक टूट गया।
वैश्विक मंदी (2008)
लेहमन ब्रदर्स के दिवालिया होने की खबर ने दुनिया भर के बाजारों को झकझोर दिया।
21 जनवरी 2008 को सेंसेक्स 1408 अंक या 7.4 प्रतिशत गिर गया। इसके बाद आने वाले महीनों में सेंसेक्स अपने उच्चतम स्तर से 60 प्रतिशत तक गिर गया था।
कोविड-19 महामारी (2020)
जैसे ही यह साफ़ हुआ कि कोविड-19 एक वैश्विक महामारी बन चुका है, भारतीय शेयर बाजार पर भी इसका गहरा असर पड़ा।
23 मार्च 2020 को सेंसेक्स 3935 अंक या 13.2 प्रतिशत गिरा। यह प्रतिशत के हिसाब से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट मानी जाती है। इसका प्रमुख कारण था देशभर में लॉकडाउन लागू होना।
निष्कर्ष
आज की गिरावट ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वैश्विक घटनाएं और नीतिगत फैसले भारतीय शेयर बाजार को कितनी गहराई से प्रभावित कर सकते हैं। यह दिन भारतीय निवेशकों के लिए एक और कड़वी याद बन गया है।