बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए माता-पिता हर संभव कोशिश करते हैं। बावजूद इसके ज्यादातर पेरेंट्स की अपने बच्चों से यह शिकायत बनी रहती है कि वो एक जगह टिककर मन लगाकर कभी नहीं पढ़ते हैं। लेकिन पेरेंट्स को सबसे पहले यह समझने की जरूरत है कि बच्चों का मन बेहद कोमल और चंचल होता है। उन्हें पढ़ाने के लिए माता-पिता को धैर्य रखने की जरूरत है। ऐसे में बच्चों की शिकायत करने से पहले पेरेंट्स को खुद अपने आप से यह सवाल पूछने की जरूरत है कि क्या वो बच्चे को पढ़ाते समय क्या वाकई सही तरीका अपनाते हैं या उनसे भी कोई गलती हो रही है। आइए जानते हैं बच्चों को पढ़ाने के लिए पेरेंट्स को अपनाने चाहिए कौन से सही तरीके।
बच्चों को पढ़ाने के लिए अपनाएं ये सही तरीके-
बच्चे के साथ बैठें-
कई बार पेरेंट्स बिजी होने की वजह से बच्चों को होमवर्क करने के लिए कहकर खुद घर के काम करने में व्यस्त हो जाते हैं। लेकिन बच्चे को पढ़ाने का यह तरीका बिल्कुल गलत है। आपको शुरुआत से ही बच्चे के साथ बैठकर उसे पढ़ाना चाहिए। जिससे बच्चे में पढ़ने की ललक बढ़ेगी। इसके अलावा कई बार बच्चे को पढ़ाते-पढ़ाते पेरेंट्स खुद मोबाइल या लैपटॉप चलाने लगते हैं। पढ़ाने का ये तरीका भी बिल्कुल गलत है। बच्चे को पढ़ाते समय पेरेंट्स का पूरा ध्यान बच्चे पर होना चाहिए।
परीक्षा अंक को लेकर बच्चे पर दबाव न डालें-
शायद ही कोई माता-पिता हों, जो अपने बच्चे से क्लास में टॉप करने की ख्वाहिश न रखते हों। लेकिन क्लास में हर बच्चे का टॉप करना मुनासिब नहीं है। ऐसे में अपने बच्चों पर मार्क्स को लेकर दबाव बनाना गलत है। बच्चे के नंबर कम आने पर उस पर गुस्सा करने की जगह उसे हमेशा मोटिवेट करें।
पढ़ाई का माहौल भी है जरूरी-
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा खूब मन लगाकर पढ़े तो सबसे पहले उसके लिए घर में पढ़ाई का माहौल तैयार करें। बच्चे की पढ़ाई के दौरान किसी भी तरह का शोर,टीवीया फिर गपशप ना होने दें। पेरेंट्स, बच्चे के पढ़ने के कमरे में पढ़ाई से जुड़े कुछ गेम्स या वॉल स्टीकर भी लगा सकते हैं जैसे- पहाड़ों का चार्ट, गणित फार्मूला चार्ट आदि।
पढ़ाई का शेड्यूल-
बच्चे के होमवर्क के अलावा उसकी पढ़ाई के लिए भी एक शेड्यूल बनाएं। जिसके अनुसार बच्चे के हर विषय की कठिनईयों को दूर करते हुए रिवीजन करवाएं। दिन में कितने घंटे बच्चे को पढ़ना है, कौन सा विषय किस दिन पढ़ना है जैसी बातों पर खास गौर दें।
बच्चे को भाषण देने से बचें-
आपने कई ऐसे पेरेंट्स को देखा होगा, जो बात-बात पर अपने बच्चों को लेक्चर देते हैं। बच्चों के साथ ऐसा करना गलत है। ऐसा करने से बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पेरेंट्स हमेशा अपने बच्चे की भलाई के लिए उसे डांटते-फटकारते हैं, लेकिन बच्चों के लिहाज से यह तरीका उल्टा काम कर सकता है। बच्चों को बार-बार किसी चीज के लिए कहने पर वो स्वभाव से चिड़चिड़े हो सकते हैं, जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई से दिलचस्पी भी कम हो सकती है। बच्चों को साफ और सीधे तरीके से प्यार से समझाएं।
गलतियों से सीखने में करें मदद-
बच्चे को समझाएं हार और जीत दोनों के अपने अलग मायने हैं। अगर किसी वजह से बच्चा परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला पाता है तो उसे डांटने या उसकी तुलना दूसरे बच्चों से करने की जगह उससे प्यार से पेश आएं। उसे अगली बार अच्छे नबंर लाने के लिए मोटिवेट करें।