जयपुर:कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर नई कार्य समिति (CWC) का गठन किया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपनी नई टीम का ऐलान कर दिया है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह टीम इस साल होने जा रहे कई राज्यों के विधानसभा चुनाव और साल 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है। खरगे की टीम में 39 सदस्य, 32 स्थायी आमंत्रित सदस्य और 9 विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल किए गए हैं। इस टीम में एक ऐसे नाम की भी एंट्री हुई है जिसे देखकर राजस्थान की राजनीति में दिलचस्पी लेने वालों के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। CWC की नई टीम में सचिन पायलट को भी शामिल किया गया है। आइए समझते हैं इसके सियासी मायने…
एक बड़े गिफ्ट की उम्मीद
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अक्सर एक-दूसरे पर ‘शब्द बाण’ चलाते रहते हैं। लेकिन बीते कुछ दिनों से दोनों दिग्गज नेता शांत हैं। जानकारों का कहना है कि आलाकमान ने नाराज पायलट को मना लिया। साल के अंत तक राजस्थान में चुनाव होने हैं। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सचिन पायलट को CWC में शामिल करने के साथ-साथ किसी बड़े राज्य का प्रभारी भी बनाया जा सकता है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि पायलट को अब जल्द ही एक बड़ा गिफ्ट मिलने वाला है। बता दें कि खरगे की 39 सदस्यों की टीम में केवल तीन ऐसे सदस्य हैं जिनकी उम्र पचास साल के नीचे हैं। इनके नाम, सचिन पायलट, गौरव गोगोई और कमलेश्वर पटेल हैं।
पायलट की एंट्री के सियासी मायने
खरगे की नई टीम पर गौर करें दो दो नाम ऐसे हैं जिनके रिश्ते आलाकमान से कुछ खट्टे-मीठे बताए जा रहे थे। पहला नाम, शशि थरूर। बता दें कि थरूर जी-23 नेताओं के लिस्ट में शामिल हैं। यह ग्रुप कांग्रेस से नाराज होकर अलग गुट बना लिया था। साथ ही शशि थरूर पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में खरगे के खिलाफ खड़े हुए थे। दूसरा नाम, सचिन पायलट। सचिन पायलट राजस्थान में अपनी ही सरकार के खिलाफ यात्रा निकाले थे। साथ ही वो अनशन पर बैठते हुए सीएम गहलोत से कई सख्त सवाल भी पूछे थे। ऐसे में यह माना जा रहा था कि पायलट आलाकमान से नाराज हैं। पायलट गुट के नेताओं की यह मांग है कि उनके नेता को सीएम बनाया जाए। हालांकि पायलट कई बार यह कह चुके हैं कि उनकी नाराजगी कांग्रेस पार्टी से नहीं है, सीएम गहलोत से है। वो खुद को अक्सर कांग्रेस का सेवक कहते हैं।
क्या आलाकमान को अब भी ‘वो’ डर?
जुलाई में गहलोत-पायलट के बढ़ते विवाद को देखते हुए आलाकमान ने दिल्ली में एक अहम बैठक की थी। इस बैठक के बाद से ही पायलट और गहलोत के सुर बदल गए। पायलट ने तो बैठक के बाद गहलोत सरकार की तारीफ करते हुए एक साथ चुनाव लड़ने की बात भी कही थी। ऐसे में यह माना जा रहा था कि पायलट की नाराजगी को आलाकमान ने दूर कर दिया है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस का जोश हाई है। पार्टी राजस्थान में सरकार रिपीट करने का प्लान बना रही है। ऐसे में पायलट को CWC में शामिल कर कांग्रेस ने एक बड़ा संदेश दिया है। साथ ही उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में किसी राज्य में बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। जानकारों का मानना है कि राजस्थान के युवाओं में पायलट का खासा क्रेज है। उन्हें सुनने-देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट जाती है। कांग्रेस किसी भी कीमत पर अपने एक दिग्गज नेता को नाराज नहीं करना चाहती है। इसी डर से पार्टी उन्हें कई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।