डेस्क: देश की राजधानी दिल्ली में आगामी 9 सितंबर को 54वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है। इस बैठक में टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी को हटाने की संभावना पर चर्चा हो सकती है। बता दें कि इंश्योरेंस सेक्टर के अलग-अलग हितधारक लंबे समय से इस पद से हटाने की वकालत करते रहे हैं। उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय को लागू करने से इंश्योरेंस ग्राहकों पर वित्तीय बोझ काफी कम हो जाएगा। लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लंबे समय से विवादास्पद रहा है। कई हितधारकों ने इसे हटाने पर जोर दिया है।
क्या कहना है एक्सपर्ट का
विशेषज्ञों ने कहा- मौजूदा मंत्रियों सहित कई हितधारकों ने टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी से छूट देने का अनुरोध किया है। संभवतः जीएसटी काउंसिल इस उद्योग की मांग पर विचार कर सकती है। बीडीओ इंडिया के पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) संदीप पारीक ने कहा कि जीएसटी से छूट का पूरा प्रभाव जनता पर डालने के लिए बीमा कंपनियों को भी पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति देने की जरूरत होगी। संदीप पारीक के मुताबिक टर्म इंश्योरेंस उत्पादों से जीएसटी को छूट देने से इन योजनाओं को जनता के लिए अधिक किफायती बनाकर उन्हें बढ़ावा दिया जा सकता है।
विभवंगल अनुकुलकारा प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और प्रबंध निदेशक सिद्धार्थ मौर्य ने कहा कि जीएसटी को और कम करने या पूरी तरह से खत्म करने से टर्म लाइफ इंश्योरेंस की खरीद बढ़ सकती है। सिद्धार्थ मौर्य ने कहा कि टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी को कम करने या हटाने से अधिक लोगों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ के बिना अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। इससे बीमा कवरेज आधार का भी विस्तार होगा और उद्योग की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। मौर्य के मुताबिक हमें उम्मीद है कि जीएसटी काउंसिल भविष्य की सोच रखने वाला आउटलुक अपनाएगी जिससे लाखों भारतीयों को लाभ होगा।