डेस्क:भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक मोड़ लेने जा रहा है। अगले दो महीनों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दो हाई-प्रोफाइल मिशनों को अंजाम देगा। इनमें पहला मिशन मई में होने जा रहा है, जब भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सहयोग से Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेंगे। वे राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे।
इस ऐतिहासिक मिशन की घोषणा करते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा, “ग्रुप कैप्टन शुक्ला की यह यात्रा केवल अंतरिक्ष यात्रा नहीं है, बल्कि यह भारत के नए अंतरिक्ष युग में साहसिक कदम की शुरुआत है।”
शुक्ला को अंतरिक्ष यात्रा के लिए रूस और अमेरिका में गहन प्रशिक्षण दिया गया है। उनकी यह यात्रा भारत की मानव अंतरिक्ष मिशन योजना गगनयान के लिए मील का पत्थर साबित होगी। Axiom-4 मिशन के दौरान उन्हें स्पेसफ्लाइट संचालन, लॉन्च प्रक्रियाएं, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में अनुकूलन और आपातकालीन तैयारियों का व्यावहारिक अनुभव मिलेगा।
इसके तुरंत बाद, जून में इसरो और नासा के संयुक्त प्रयास से बना अब तक का सबसे महंगा पृथ्वी अवलोकन उपग्रह NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) — भारत से GSLV-Mk II रॉकेट के ज़रिए लॉन्च किया जाएगा। यह उपग्रह $1.5 अरब डॉलर की लागत से तैयार किया गया है।
NISAR सैटेलाइट की खासियत
नासा के अनुसार, यह उपग्रह पृथ्वी के परिवर्तित होते पारिस्थितिक तंत्र, सतही बदलाव और बर्फ की परतों के ढहने को मापेगा। यह बायोमास, समुद्री स्तर में वृद्धि, भूजल और प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन पर विस्तृत जानकारी देगा। यह दुनिया का पहला ऐसा उपग्रह होगा जो दो विभिन्न रडार फ्रिक्वेंसी (L-बैंड और S-बैंड) के जरिए धरती की सतह में सेंटीमीटर स्तर तक के बदलाव को माप सकेगा।
इसरो इस मिशन के लिए सैटेलाइट बस, S-बैंड रडार, लॉन्च व्हीकल और लॉन्च सेवाएं प्रदान कर रहा है, जबकि नासा L-बैंड रडार और अन्य प्रमुख सिस्टम दे रहा है।
इस अवसर पर इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने भविष्य के मिशनों की एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें PSLV-C61 मिशन भी शामिल है, जो EOS-09 सैटेलाइट को लेकर जाएगा। यह सैटेलाइट C-बैंड सिथेंटिक अपर्चर रडार से लैस होगा, जो हर मौसम और दिन-रात की स्थिति में हाई रिजोल्यूशन त्सवीर ले सकता है।
इसके अलावा Test Vehicle-D2 (TV-D2) मिशन भी इसरो के कार्यक्रम में शामिल है, जिसका उद्देश्य गगनयान क्रू एस्केप सिस्टम की कार्यप्रणाली का परीक्षण करना है। यह मिशन ‘क्रू मॉड्यूल’ की समुद्री रिकवरी प्रक्रिया का अभ्यास करेगा, जो भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए अहम है।