नई दिल्ली:भारतीय सशस्त्र बलों ने “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान देशी और विदेशी कॉमर्शियल स्पेस एसेट्स का बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारे सभी रणनीतिक स्पेस एसेट्स का ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अलग-अलग तरीकों से उपयोग किया गया। हमारी टीमें लगातार काम कर रही थीं और हमें गर्व है कि इसरो देशहित में सशस्त्र बलों की मदद कर सका।”
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना के पास लगभग 9-11 सैन्य सैटेलाइट उपलब्ध हैं। इनके अलावा भी इसरो ने अमेरिका की कॉमर्शियल सैटेलाइट इमेजरी कंपनी मैक्सार से भी डेटा हासिल करने में मदद की। अधिकारी ने कहा कि “हमारे कार्टोसैट सीरीज के सैटेलाइट से प्राप्त इमेजरी का इस्तेमाल योजना बनाने में हुआ, वहीं मैक्सार से दैनिक रूप से मिलने वाली हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरों ने ऑपरेशन को और धार दी।”
Cartosat-2C जैसे सैटेलाइट 0.65 मीटर तक की रिजॉल्यूशन के साथ तस्वीरें उपलब्ध कराते हैं। यह भारत की सैन्य खुफिया प्रणाली का अहम हिस्सा हैं। ये सैटेलाइट पहले भी 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अभियानों में उपयोग में लाए जा चुके हैं। इसके अलावा Risat सीरीज के रडार इमेजिंग सैटेलाइटों से इलाके में गतिविधियों की निगरानी की गई और Gsat सीरीज ने संचार व्यवस्था को संभाला। इस लिहाज से पूरा पाकिस्तान भारत की जद में था। यही वजह है कि भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान पर इतना सटीक हमला किया कि उससे केवल वही टारगेट हिट हुए जिन्हें नष्ट करने की योजना थी। पाकिस्तान के एयरबेस पर चुन-चुनकर हुए हमले इसका सबसे सटीक उदाहरण हैं।
अधिकारी ने बताया कि भारतीय सैटेलाइट औसतन हर 14 दिन में किसी विशिष्ट क्षेत्र की इमेज प्रदान कर सकते हैं, लेकिन व्यावसायिक सैटेलाइटों से यह डेटा रोजाना उपलब्ध हो सकता है। साथ ही भारत की NavIC प्रणाली और अन्य वैश्विक GPS सिस्टम्स ने भी इस ऑपरेशन में नेविगेशन और पोजिशनिंग में मदद की।
इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISpA) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ए.के. भट्ट ने कहा, “आधुनिक युद्ध में स्पेस टेक्नोलॉजी अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसमें इमेजरी, सैट-कॉम और PNT (पोजिशनिंग, नेविगेशन एंड टाइमिंग) की व्यापक भूमिका होती है।”
इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने भी ऑपरेशन पर सीधी टिप्पणी नहीं की, लेकिन उन्होंने यह पुष्टि की कि वर्तमान में 10 सैटेलाइट भारतीय सेना के लिए 24×7 काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 18 मई को भारत EOS-09 या Risat-1B नामक एक और महत्वपूर्ण सैटेलाइट लॉन्च करेगा, जो सशस्त्र बलों की क्षमताओं को और मजबूत करेगा। यह सैटेलाइट C-बैंड सिंथेटिक एपरचर रडार सिस्टम से लैस होगा, जो किसी भी मौसम और अंधेरे में भी सतह की साफ इमेज प्रदान करने में सक्षम होगा।
नारायणन ने यह भी बताया कि आने वाले पांच वर्षों में भारत 100 से 150 सैटेलाइट लॉन्च करेगा, जिनमें से 52 सैटेलाइट स्पेस-बेस्ड सर्विलांस-3 (SBS-3) कार्यक्रम के तहत होंगे, और इनमें से 31 सैटेलाइट निजी क्षेत्र द्वारा विकसित किए जाएंगे। यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में भारतीय सशस्त्र बलों और अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के बीच सहयोग और भी सशक्त होने जा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर को 7 मई 2025 को शुरू किया गया था, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी। ऑपरेशन का उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ढांचों को नष्ट करना था। भारतीय सशस्त्र बलों ने इस ऑपरेशन को सटीकता के साथ अंजाम दिया, ताकि नागरिक और सैन्य ढांचों को न्यूनतम नुकसान हो।