डेस्क:भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने पहले प्रयास में दो सक्रिय सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक डॉक करने के लिए तैयार है। इसरो के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने पुष्टि की है कि यह ऐतिहासिक डॉकिंग अगले कुछ दिनों में की जा सकती है। 11 जनवरी को दोनों सैटेलाइट्स को और करीब लाने की योजना बनाई गई है।
इसरो ने 30 दिसंबर, 2024 को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) मिशन का प्रक्षेपण किया था। हालांकि, 7 और 9 जनवरी को किए गए डॉकिंग प्रयास असफल रहे थे, लेकिन अब वैज्ञानिक इस प्रयोग की सफलता को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं।
डॉकिंग प्रक्रिया का महत्व
डॉ. सोमनाथ ने कहा, “यह मिशन हमारे लिए एक यात्रा के समान है। डॉकिंग प्रक्रिया केवल अंतिम लक्ष्य नहीं है, बल्कि इस दौरान हमने कई नई तकनीकों और प्रक्रियाओं को सीखा है। यह अनुभव भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा।”
SpaDeX मिशन के तहत 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक चेजर और एक टार्गेट सैटेलाइट को शामिल किया गया है। डॉकिंग प्रक्रिया में चेजर सैटेलाइट को क्रमशः 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और अंततः 3 मीटर की दूरी तक टार्गेट सैटेलाइट के पास लाया जाएगा। अंत में, 10 मिलीमीटर प्रति सेकंड की धीमी गति से दोनों सैटेलाइट्स को जोड़ा जाएगा।
भारत की स्वदेशी तकनीक
इस मिशन में इसरो ने “भारतीय डॉकिंग सिस्टम” का उपयोग किया है, जिसे इसरो ने स्वयं विकसित और पेटेंट कराया है। अब तक, यह तकनीक केवल चीन, अमेरिका और रूस जैसे देशों के पास थी।
डॉकिंग का विज्ञान
डॉकिंग का अर्थ है अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स या यानों को एक सटीक प्रक्रिया के तहत एक-दूसरे से जोड़ना। इसमें:
- सैटेलाइट्स को करीब लाना: दोनों सैटेलाइट्स की कक्षाओं और गति को समायोजित करना।
- गति और दिशा का नियंत्रण: चेजर सैटेलाइट को टार्गेट के पास धीमी गति से ले जाना।
- जुड़ने की प्रक्रिया: जब दोनों सैटेलाइट्स पास होते हैं, तो डॉकिंग सिस्टम के माध्यम से उन्हें जोड़ा जाता है।
डॉकिंग की सफलता के फायदे
- मिशन का विस्तार: डॉकिंग के बाद सैटेलाइट्स साझा संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं।
- अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण: यह तकनीक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
- भविष्य के मिशन: चंद्रमा, मंगल और अन्य ग्रहों पर मानव मिशनों के लिए यह तकनीक आवश्यक है।
SpaDeX की सफलता का महत्व
SpaDeX की सफलता भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करेगी और भविष्य में गगनयान, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान-4 जैसे अभियानों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। इसरो के इस मिशन से भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने के करीब है।