डेस्क:चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ में सुस्ती पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जीडीपी में 5.4 प्रतिशत की उम्मीद से कम वृद्धि अस्थायी स्थिति है। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाली तिमाहियों में वृद्धि की रफ्तार बढ़ेगी। सीतारमण ने लोकसभा में वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान की पहली अनुपूरक मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि भारत ने मजबूत और सतत वृद्धि देखी है। पिछले तीन वर्षों में जीडीपी वृद्धि दर औसतन 8.3 प्रतिशत रही है।
दुनिया भर में चुनौती
उन्होंने कहा- चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में वास्तविक वृद्धि दर क्रमशः 6.7 प्रतिशत और 5.4 प्रतिशत रही है। दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत वृद्धि की दर उम्मीद से कम है। वास्तव में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही न केवल भारत के लिए बल्कि अन्य देशों के लिए भी चुनौतीपूर्ण रही है। सीतारमण ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इसका श्रेय देश के लोगों को जाता है जो अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उसे पूरा कर रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में योगदान मिल रहा है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नरमी
वित्त मंत्री ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कोई व्यापक नरमी की स्थिति नहीं है। इससे जुड़े आधे क्षेत्र मजबूत बने हुए हैं। सीतारमण ने कहा- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कुल मिलाकर सुस्ती की आशंका नहीं है, क्योंकि यह कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 23 विनिर्माण क्षेत्रों में से लगभग आधे अब भी मजबूत बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, जुलाई और अक्टूबर, 2024 के बीच केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय 6.4 प्रतिशत बढ़ा है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का निर्धारण किया है।
महंगाई के आंकड़े कोविड के बाद सबसे कम
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत रही। यह कोविड महामारी के बाद से सबसे कम है। सीतारमण ने कहा कि कोर मुद्रास्फीति दशक के निचले स्तर 3.6 प्रतिशत पर बनी हुई है। मुख्य मुद्रास्फीति में उतार-चढ़ाव वाले खाद्यान्न और ऊर्जा के दाम शामिल नहीं होते। बेरोजगारी दर 2017-18 में छह प्रतिशत थी, जो अब घटकर 3.2 प्रतिशत पर आ गयी है।