डेस्क:जीएसटी रेट्स को दुरुस्त करने के लिए गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट जीएसटी काउंसिल को सौंपना टाल दिया। समिति के संयोजक और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि रिपोर्ट में 148 वस्तुओं को दुरुस्त करने का सुझाव दिया गया था। सम्राट चौधरी ने कहा, “माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों को युक्तिसंगत बनाने पर मंत्रिसमूह (जीओएम) की रिपोर्ट काउंसिल की अगली बैठक में सौंपी जाएगी।”
मंत्री समूह ने इसी महीने करीब 148 वस्तुओं पर टैक्स रेट्स में फेरबदल करने पर व्यापक सहमति बनाई थी, जिसमें ‘हानिकारक’ पेय पदार्थ और तंबाकू उत्पादों जैसी वस्तुओं पर वर्तमान 28 प्रतिशत की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक टैक्स लगाना शामिल है। व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही थी कि मंत्रिसमूह शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। मौजूदा समय में जीएसटी एक चार-स्तरीय कर संरचना है जिसमें पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की स्लैब हैं। लग्जरी और बुरी मानी जाने वाली वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की उच्चतम दर से कर लगाया जाता है, जबकि डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ और आवश्यक वस्तुओं पर सबसे कम पांच प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है।
इन कपड़ों के लिए अभी देना होगा अधिक जीएसटी
जीओएम ने कपड़ों पर लगने वाले जीएसटी में बदलाव का फैसला किया था। निर्णय के अनुसार, 1,500 रुपये तक की लागत वाले तैयार कपड़ों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा, 1,500 रुपये से 10,000 रुपये के बीच के कपड़ों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। 10,000 रुपये से अधिक की लागत वाले कपड़ों पर 28 प्रतिशत कर लगेगा। वर्तमान में 1,000 रुपये तक के कपड़ों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है, जबकि इससे अधिक कीमत वाले कपड़ों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
जीओएम ने 15,000 रुपये प्रति जोड़ी से अधिक कीमत वाले जूतों पर जीएसटी 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव रखा है। इसने 25,000 रुपये से अधिक कीमत वाली कलाई घड़ियों पर जीएसटी 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव रखा है।
इन सामानों पर जीएसटी कटौती की थी उम्मीद
मंत्री समूह ने 20 लीटर और उससे ज़्यादा के डिब्बा बंद पेयजल पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने और 10,000 रुपये से कम कीमत वाली साइकिलों पर टैक्स रेट्स को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था। साथ ही, कॉपी पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया था।