सूरत:अपनी पदयात्राओं द्वारा जन मानस में नैतिक उन्नयन का महनीय कार्य करने वाले युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन प्रवास से उधना वासी अध्यात्म गंगा में अभिस्नात हो रहे है। प्रवास के तृतीय दिवस आचार्य प्रवर ने क्षेत्र वासियों के निवास स्थानों पर पधार कर उन्हें कृतार्थ किया। तेरापंथ भवन के विशाल परिसर में प्रातः 04 बजे से ही श्रद्धालुओं का धर्माराधना हेतु क्रम जारी है। वहीं साधु साध्वियों द्वारा सेमिनार, संगोष्ठियों द्वारा युवा वर्ग को प्रेरणा दी जा रही है।
मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में धर्मसभा में प्रवचन करते हुए आचार्य श्री ने कहा – हम प्रतिदिन अर्हत वंदना करते है उसका एक आगम सूक्त है ‘समया धम्म मुदाहरे मुणी’। यहाँ समता की बात को प्रधानता दी गई है। समता हमारा धर्म है। हर अनुकूल प्रतिकूल कैसी भी परिस्थिति में मन में समता रहे वही कर्म भी हमारा समतामय हो। अपना अपना हिस्सा सबको मिले व समान रूप में मिले। कार्य में सबसे प्रति समानता का भाव हो। समाज में कई बार इसी स्थितियां आ जाती है जब परस्पर किसी बात को लेकर असामंजस्य हो जाता है। चाहे समाज हो, परिवार हो अपना अधिकार व्यक्ति को मिलना चाहिए। भाई–भाई में कभी विवाद हो जाता है, कोर्ट कचहरी तक भी बात जा सकती है। परस्पर अगर सामंजस्य हो जाए, समानता के साथ हिस्सा आदि की जाए तो अच्छी बात होती है। समता व समानता जीवन में जरूरी है। न्यायपालिका में भी न्याय को व समानता को महत्व दिया जाता है। वहां सभी एक समान है। जीवन में समता धर्म का पालन हो तो व्यक्ति सुखमय जीवन जी सकता है।
इस अवसर पर तेरापंथ किशोर मंडल ने गीत का संगान किया। कन्या मंडल व ज्ञानशाला के नन्हें बच्चों ने प्रस्तुति दी। लोकतेज अखबार के संपादक कुलदीप जी सनाढ्य ने अपने विचार प्रकट किए। अभिलाषा बांठिया ने गीतिका की प्रस्तुति दी।