वर्षों तक हमने सहा। हमारे मंदिर जले, हमारे सैनिक शहीद हुए, हमारे धैर्य की परीक्षा होती रही। हमने यथाशक्ति विश्व को शांति का संदेश दिया। परंतु जब कोई राष्ट्र हमारे संयम को हमारी सीमा समझने लगे—तब भारत ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ नहीं, ‘परशुराम’ बनता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी चेतना का परिणाम था। और ब्रह्मोस—उस चेतना की ज्वाला!
यह कोई साधारण मिसाइल नहीं। यह भारत की चेतावनी नहीं, उस चेतना की वापसी है जो पांडवों के धैर्य के बाद अर्जुन की प्रत्यंचा खींचती है। अब भारत को उकसाना केवल राजनीति नहीं, आत्मघाती भूल है।
पांच सूत्र, जो शांति के लिए हैं—पर यदि आवश्यक हो, तो संहार के लिए भी
1. अब सीमा रेखाएँ नहीं, दुश्मन के अड्डे भी निशाने पर
ब्रह्मोस की मारक सीमा 800 किलोमीटर तक पहुँचेगी। लाहौर, रावलपिंडी, मियांवाली—अब ये शब्द केवल नक्शे पर नहीं, भारतीय सैन्य सोच की स्क्रीन पर होंगे।
2. गति की वह रेखा, जहाँ विज्ञान भी थमे
मैक-5 की हाइपरसोनिक गति! अर्थात, जब दुश्मन सोचेगा—तब तक ब्रह्मोस उसकी नींव तक पहुँच चुका होगा।
3. हर भारतीय विमान—अब आकाश का वज्र बनकर दहाड़ेगा
ब्रह्मोस अब हल्के विमानों से भी दागा जाएगा। राफेल, तेजस, सुखोई—अब आकाश से भारत की गर्जना करेंगे।
4. विस्फोट नहीं—शत्रु के अभिमान का संपूर्ण विध्वंस
इस बार विस्फोटकों में केवल शक्ति नहीं, भारत के भीतर संचित आक्रोश भी होगा—जो अपने हर प्रहार से यह कहेगा कि ‘अब भारत को मतमांडो!’
5. धरती, आकाश, जल—तीनों से घात
नवीन पनडुब्बी परियोजनाओं से भारत का शत्रु यह भी नहीं समझ पाएगा कि प्रहार आएगा कहाँ से। अब हमारे उत्तर दिशाहीन नहीं, अचूक होंगे।
सिंदूर से रचा प्रतिशोध
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में जब ब्रह्मोस दहाड़ा, तो उस दहाड़ में केवल तकनीक नहीं थी—उसमें कंधे पर बेटे की तस्वीर लिए बैठी माँ का मौन था। उसमें वह चीख थी, जो शहीद की बेटी ने रोकी थी। और वह ज्वाला थी, जो भारत की आत्मा में बरसों से ठंडी राख के नीचे जल रही थी।
अब वही ज्वाला अस्त्र बनकर उठी है। और जब भारत अस्त्र उठाता है—तो वह केवल युद्ध नहीं करता, वह इतिहास बनाता है।
यह नई ब्रह्मोस नहीं—यह नवभारत की घोषणा है
अब भारत को हल्के में लेने की भूल मत कीजिए। यह वह भारत है—जो वेद पढ़ता है और शस्त्र भी उठाता है। जो पहले नीति कहता है, फिर नींव हिला देता है।
अब भारत रक्षात्मक नहीं, प्रहारक है।
अब भारत मौन नहीं, मुखर है।
अब भारत प्रतीक्षा नहीं करता, निर्णय करता है।
जय माँ भारती