इस्लामाबाद: मुंबई में 26 नवंबर, 2008 (26/11) के आतंकवादी हमलों के मास्टमाइंड साजिद मीर को कथित तौर पर पाकिस्तान में हिरासत में ले लिया गया है। एफबीआई ने मीर को ‘मोस्ट वांटेड’ आतंकी घोषित किया हुआ है। अमेरिकी एजेंसी ने मीर के खिलाफ विदेशी सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की साजिश करने, आतंकवादियों को सहायता प्रदान करने, अमेरिका के बाहर एक नागरिक की हत्या करने और सार्वजनिक स्थानों पर बमबारी करने के आरोप में ‘मोस्ट वांटेड’ आतंकी घोषित किया है। मुंबई हमलों में मारे गए 166 लोगों में छह अमेरिकी थे। एफबीआई ने मीर की गिरफ्तारी और दोषसिद्धि के लिए सूचना देने वाले के लिए $5 मिलियन तक का इनाम रखा है।
बता दें कि पाकिस्तान सरकार हमेशा से साजिद मीर को लेकर झूठ बोलती रही है। साजिद मीर की मौजूदगी से पाकिस्तान ने हमेशा इनकार किया है। पाकिस्तान ने तो यहां तक दावा किया था कि साजिद मीर की मौत हो चुकी है। अब चूंकि पाकिस्तान आर्थिक कंगाली की कगार पर खड़ा है और FATF से राहत की उम्मीद कर रहा है ऐसे में वह अपने दामन से आतंक के दाग कम करना चाहता है।
मीर के बारे में बात करें तो वह पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के लिए सीधे तौर पर काम करता था। साजिद मीर के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा ने आईएसआई की मदद और समर्थन से मुंबई में हमले किए थे। जब आतंकी मुंबई में थे तब साजिद मीर पाकिस्तान में उनका कंट्रोलर था और सारी जानकारी देता और लेता था।
मीर के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि वह 2001 से लश्कर का एक वरिष्ठ सदस्य रहा है। 2006 से 2011 तक, उसने समूह की ओर से विभिन्न आतंकवादी हमलों की योजना बनाई। एफबीआई का मानना है कि उसने 2008 और 2009 के बीच डेनिश अखबार जाइलैंड्स-पोस्टेन और उसके कर्मचारियों के खिलाफ आतंकवादी हमले की साजिश रची थी। एफबीआई ने 22 अप्रैल, 2011 को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
साजिद मीर दाऊद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हेडली का हैंडलर था। हेडली पाकिस्तानी-अमेरिकी डबल एजेंट था, जिसने लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी टीम को मुंबई हमले के लिए तैयार किया था। हेडली ने मुंबई हमलों में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली है, और वर्तमान में वह अमेरिका में 35 साल की जेल की सजा काट रहा है। उसका सह-साजिशकर्ता तहव्वुर राणा 14 साल की छोटी सजा काट रहा है।
2021 में, अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान ने आतंक का मुकाबला करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, फिर भी उसने मीर जैसे आतंकवादियों के संचालन को नहीं रोका।