जम्मू:केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में अगले महीने यानी सितंबर में विधानसभा चुनाव होंगे। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश के लोगों से अनुरोध किया कि राज्य में विकास कार्यों को जारी रखने और आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए आगामी चुनावों में भाजपा को वोट दें। उन्होंने कहा कि 5 साल पहले 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की गतिविधियों पर काफी हद तक अंकुश लगा है।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने पड़ोसी देश पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है कि अगर उसने केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद का समर्थन किया तो उसका बुरा अंजाम होगा। बता दें कि जी किशन रेड्डी जम्मू-कश्मीर में भाजपा के चुनाव प्रभारी हैं। वह जम्मू के बाहरी इलाके में बाना सिंह स्टेडियम में अनुच्छेद 370 निरस्त होने की पांचवीं वर्षगांठ पर भाजपा द्वारा आयोजित ‘एकात्म महोत्सव’ रैली को संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर उनके साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू-कश्मीर प्रभारी तरुण चुघ और जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रविंदर रैना भी मौजूद थे। इन नेताओं ने भी रैली को संबोधित किया। एक तरह से कहें तो भाजपा ने प्रदेश में अपनी चुनावी शंखनाद कर दी है। रैली को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा, “विधानसभा चुनाव सितंबर में होंगे और हमें यकीन है कि अनुच्छेद 370 को रद्द करके और बीआर अंबेडकर के संविधान को जम्मू-कश्मीर तक विस्तारित करके पार्टी द्वारा लाए गए बदलावों को देखते हुए लोग भाजपा को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लाएंगे।”
विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वे अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करने की बात कर रहे हैं, जिसने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के जरिए जम्मू कश्मीर में केवल मौत और विनाश लाया है। उन्होंने कहा, “लोगों को यह तय करना होगा कि वे जम्मू कश्मीर में कौन सी सरकार चाहते हैं, वह जो अनुच्छेद 370 को बहाल करने की बात कर रही है या भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार – जो जम्मू-कश्मीर को विकास, शांति और समृद्धि की नयी ऊंचाइयों पर ले जाना चाहती है।
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को संसद में विधेयक लाकर अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बना दिया था, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था। सरकार ने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को ‘‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम’’ के माध्यम से दो केंद्र-शासित प्रदेश-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।