श्रीनगर:जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकवादी हमलों को देखते हुए भारतीय सेना क्षेत्र में आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए सैनिकों को फिर से तैनात कर रही है। सेना के सूत्रों ने बताया कि इसका उद्देश्य उन आतंकवादियों से निपटना है, जो अत्यधिक प्रशिक्षित हैं और क्षेत्र में बड़ी संख्या में घुसपैठ कर चुके हैं। भारतीय सेना ने उच्च प्रशिक्षित पाकिस्तानी आतंकवादियों का पता लगाने के लिए क्षेत्र में लगभग 500 पैरा कमांडो भी तैनात किए हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश पाकिस्तानी आतंकवादी अपने स्थानीय हैंडलरों के साथ काम कर रहे हैं। उनका मकसद जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को पुनर्जीवित करना है। सूत्रों के मुताबिक, जम्मू क्षेत्र में दो-तीन कार्यकर्ताओं वाले छोटे-छोटे समूहों में लगभग 50 से 55 आतंकवादी सक्रिय हैं। उन्हें कुछ स्थानीय लोगों का भी समर्थन प्राप्त है।
सूत्रों ने कहा, “खुफिया जानकारी जुटाने वाले ग्रिड को भी कड़ा किया जा रहा है, क्योंकि इन आतंकवादियों को घने जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में मिल रहे स्थानीय समर्थन को रोकने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।”
भारतीय सेना ने पहले ही 200 से अधिक बख्तरबंद वाहनों के बेड़े से लैस सैनिकों को क्षेत्र में भेजा है। सूत्रों के अनुसार, किसी भी आतंकवादी हमले से निपटने के लिए क्षेत्र में 200 से अधिक ऐसा वाहन तैनात किए गए हैं और सैनिक इन वाहनों में ही ऑपरेशन के लिए क्षेत्र में घूम रहे हैं।
आतंकी घटनाओं के बीच जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने की चुनौती
लगातार आतंकी हमलों के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति पूर्वक चुनाव कराना बड़ी चुनौती है। जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच आतंकी घटनाओं में अचानक से तेजी के चलते सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल है। सरकार चाहती है कि सूबे में चुनाव टालने की नौबत नहीं आना चाहिए, क्योंकि इससे आतंकियों को अपने मंसूबों में कायमाबी मिलेगी।
गौरतलब है कि आतंकियों के निशाने पर अब जम्मू संभाग के इलाके है। राज्य में आतंकी घटनाओं में बेहतहाशा वृद्धि के बाद सुरक्षा बलों की रणनीतिक तैनाती शुरू की गई है। जोनवार आतंक पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बलों को बड़ी संख्या में लगाया गया है। पहाड़ों पर विशेष रूप से प्रशिक्षित सुरक्षा दस्तों को भेजा गया है। इसके अलावा उच्च स्तरीय तकनीकी और एआई की मदद से निगरानी हो रही है।
सुरक्षा बल से जुड़े सूत्र दावा कर रहे हैं कि जल्द स्थिति पर काबू पा लेंगे। सूत्रों ने कहा विधानसभा चुनाव करना चुनाव आयोग और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। सबसे अधिक चुनौती उम्मीदवारों को सुरक्षा उपलब्ध कराना और चुनावी रैलियों के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करना है। जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में जिस तरह से आतंकी घटनाएं बढ़ी हुई है, उसके बाद सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर नए सिरे से मंथन हो रहा है।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच अब सियासी दलों ने भी अपनी तैयारियां शुरु कर दी है। लेकिन सभी के मन में आतंकी घटनाओं की वजह से आशंका है कि कहीं चुनाव टल न जाए। जबकि उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि आतंकियों के मंसूबे कामयाब नहीं होंगे और सूबे में सफल चुनाव कराके लोकतंत्र की बहाली का बड़ा संदेश देने का हर संभव प्रयास होगा।