हांसी, हिसार:जन उद्धार के लिए धरती की परिधि से लगभग सवा गुना अधिक की पदयात्रा करने वाले अखण्ड परिव्राजक, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण का आज हिसार जिले के हांसी नगर में पदार्पण हुआ तो स्वागत में जैन-अजैन श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ा। आठ वर्षों बाद अपने अध्यात्मिक गुरु को अपनी धरा पर पाकर हांसी का जन-जन आह्लादित नजर आ रहा था।
हरियाणा राज्य में गतिमान अहिंस यात्रा के प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शुक्रवार को प्रातः मिलकपुर से प्रस्थान किया। आज आचार्यश्री के चरण हांसी की ओर गतिमान थे। विहार के दौरान आचार्यश्री ने भिवानी जिले की सीमा से हिसार जिले में मंगल प्रवेश किया। जैसे-जैसे आचार्यश्री हांसी के निकट होते जा रहे थे तो श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ती जा रही थी। आठ वर्षों बाद अपने आराध्य को अपने घर-आंगन में पधारने की खुशी ने मानों जनता के लिए तीव्र धूप को भी विस्मृत कर दिया। नगर के बाहरी भाग में हांसी की विशाल जनमेदिनी युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के स्वागत में उपस्थित थी। आचार्यश्री जैसे ही नगर के समीप पधारे तो जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। गूंजते जयघोष लोगों की प्रसन्नता को दर्शा रहे थे। जनता की विराट उपस्थिति से मानों पूरे हांसी का नगर मार्ग जनाकीर्ण बना हुआ था। स्वागत में हर वर्ग-समुदाय का हुजूम सद्भावना की गंगा में मानों आस्था का सैलाब लहरा रहा था। हर कोई आचार्यश्री के दर्शन को लालायित नजर आरहा था। आचार्यश्री के स्वागत में स्थानीय विधायक श्री विनोद भ्याणा, एसडीएम डॉक्टर जितेन्द्र अहलावत सहित अनेक राजनैतिक और प्रशासनिक पदाधिकारी भी उपस्थित थे। लगभग आठ किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री तेरापंथ भवन में प्रवास हेतु पधारे।
तेरापंथ भवन के सन्निकट श्रीपालजी के नोहरे में बने प्रवचन पंडाल में उपस्थित जनता को आचार्यश्री ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को अपने जीवन में एक अवस्था के बाद यथावसर मोड़ लेना चाहिए। 25 वर्ष की अवस्था में जो भागदौड़ होती है, जो खानपान होता है, वह भागदौड़ और खानपान की अनुकूलता साठ वर्षों में नहीं हो सकती। इसलिए आदमी को बढ़ती अवस्था के साथ-साथ धीरे-धीरे निवृत्ति की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
आदमी के जीवन में ज्ञान का विकास हो। कहा गया है कि वह पिता बैरी और माता शत्रु के समान होती है जो अपने बच्चों को शिक्षा और अच्छे संस्कार नहीं देते। इसलिए शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार बच्चों को मिले तो उनके जीवन में धार्मिकता, नैतिकता, मानवता का विकास हो सकता है। बाजार में धर्म और दुकानदार में ईमानदारी हो। आदमी के कर्म के साथ धर्म जुड़ जाए तो शुद्धता की बात हो सकती है। मनुष्य जीवन एक पूंजी के समान है। कोई गलत तरीके से इसे खर्च कर देता है तो वह अधोगति में चला जाता है और जो मानव जीवन रूपी धन को प्राप्त कर तप, साधना, धर्म और ध्यान के माध्यम से अपनी पूंजी को बढ़ाने का प्रयास करता है, वह मनुष्य गति से आगे देव गति में भी जा सकता है। इसलिए आदमी को साधना आदि के द्वारा अपने जीवन को धन्य बनाने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने हांसी आगमन के संदर्भ में कहा कि हमारा हांसी आना हुआ है। गत दिनों यहां साध्वी कंचनकुमारीजी (लाडनूं) का देहावसान हो गया था। उधर दिल्ली में हमारे धर्मसंघ की शासनमाता का महाप्रयाण हो गया है। संस्कृत के विद्वान मुनि राजेन्द्रकुमारजी तथा अनेक साधु-साध्वियां हांसी से संबंधित हैं। यहां की जनता में धर्म और नैतिकता की भावना का निरंतर विकास होता रहे।
कार्यक्रम में मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी ने जनता को संबोधन प्रदान किया। साध्वी सिद्धप्रभाजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्वागत के क्रम में हरियाणा प्रान्तीय सभा के अध्यक्ष श्री अशोक जैन, तेरापंथी सभा-हांसी के अध्यक्ष श्री दर्शन जैन, मंत्री श्री धनराज जैन, तेरापंथ युवक परिषद-हांसी के अध्यक्ष श्री मुदित जैन, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री अशोक जैन, तेरापंथ महिला मण्डल-हांसी की अध्यक्ष श्रीमती सरोज जैन, हरियाण के पूर्व मंत्री श्री सुभाष गोयल, श्री तरसेन सैनी, श्याम बाबा मंदिर के अध्यक्ष श्री जगदीश मित्तल, अग्रवाल समाज से श्री विनय जैन, श्री राहुल मक्कड़, व्यापार मण्डल के प्रधान श्री प्रवीण टायल, श्री रमेश गोयल, श्री रविन्द्र जैन, श्री सचिन जैन, श्री के.के. जैन, तेरापंथी सभा-हांसी के निवर्तमान अध्यक्ष श्री प्रीतम जैन व श्री सुभाष जैन ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल-हांसी, हरियाणा अग्रवाल विकास संगठन की महिलाओं तथा श्री दिनेश जैन ने पृथक्-पृथक् गीत के माध्यम से अपने आराध्य का अभिनंदन किया। ज्ञानशालाओं के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित स्थानीय विधायक श्री विनोद भ्याणा ने कहा कि आज बड़ी प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि मुझे आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। बहुत नाम सुना था, आज साक्षात दर्शन कर मुझे ऐसा लगा कि मैंने किसी दिव्य शक्ति का दर्शन प्राप्त कर लिया। यह हम सभी का परम सौभाग्य है जो आपश्री हमारे क्षेत्र में पधारे। यहां की जनता पर आपका आशीष निरंतर बना रहे।
एसडीएम डॉ. जितेन्द्र अहलवात ने कहा किओ१ मैं हांसी के समस्त जनता और प्रशासन की ओर से महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं। आपके दर्शन और प्रवचन श्रवण करने से मन को असीम शांति की अनुभूति हुई है।