नई दिल्ली: भारत को जल्द ही नया मुख्य न्यायाधीश (CJI) मिलने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में 14 मई 2025 को शपथ लेंगे। वह मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लेंगे, जो 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे जस्टिस गवई
जस्टिस बी.आर. गवई भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे। उनसे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन 2007 से 2010 तक देश के मुख्य न्यायाधीश रहे थे। अनुसूचित जाति (SC) वर्ग से आने वाले जस्टिस गवई का CJI बनना न्यायपालिका में सामाजिक समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
लंबा और प्रतिष्ठित न्यायिक सफर
जस्टिस गवई ने वर्ष 1985 में बतौर अधिवक्ता अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में वर्षों तक प्रैक्टिस की और विभिन्न संवैधानिक, नागरिक और आपराधिक मामलों में विशेषज्ञता हासिल की। वर्ष 2003 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्होंने 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।
6 महीने का कार्यकाल
बतौर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गवई का कार्यकाल लगभग 6 महीने का होगा। वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। हालांकि कार्यकाल छोटा होगा, लेकिन इस अवधि में सुप्रीम कोर्ट में कई अहम फैसलों की उम्मीद की जा रही है।
सामाजिक न्याय की दिशा में उम्मीदें
जस्टिस गवई का मुख्य न्यायाधीश बनना देश की न्यायिक प्रणाली में सामाजिक प्रतिनिधित्व की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। यह उन समुदायों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा, जो वर्षों से हाशिए पर रहे हैं। उनके कार्यकाल से न्यायपालिका में समानता, समावेशिता और निष्पक्षता की उम्मीद जताई जा रही है।
जस्टिस बी.आर. गवई का देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में चयन ऐतिहासिक है। यह न केवल उनकी योग्यता और समर्पण का प्रमाण है, बल्कि भारतीय न्यायपालिका की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि भी है।
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