नई दिल्ली:भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने विवादों में चल रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव को लेकर बहुत बड़ा खुलासा किया है। चंद्रचूड़ ने कहा कि वे जस्टिस शेखर यादव की नियुक्ति को लेकर शुरू से विरोध में थे। उन्होंने इसके लिए तत्कालीन सीजेआई को पत्र भी लिखा था। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में कथित तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ विवादास्पद बयान देने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश शेखर कुमार यादव चर्चा में हैं। इस सिलसिले में वह मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम के समक्ष पेश हो चुके हैं।
लाइव लॉ से बातचीत में चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम को पत्र लिखकर शेखर कुमार यादव की इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति का कड़ा विरोध किया था।
“नेपोटिज्म और अन्य पूर्वाग्रहों का विरोध जरूरी”
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “यह सच है कि मैंने शेखर कुमार यादव के साथ-साथ कई अन्य नामों का भी विरोध किया था। इसका कारण नेपोटिज्म, संबंधों और अन्य पूर्वाग्रहों से जुड़ा हुआ था।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि किसी न्यायाधीश का रिश्तेदार होना स्वतः ही अयोग्यता का कारण नहीं है, लेकिन नियुक्ति योग्यता के आधार पर होनी चाहिए।
“क्या बोल रहे, ध्यान रखना चाहिए”
जस्टिस चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति शेखर यादव के हालिया विवादास्पद बयानों पर टिप्पणी करते हुए कहा, “एक मौजूदा न्यायाधीश को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वह क्या बोल रहा है, चाहे वह अदालत के अंदर हो या बाहर। न्यायाधीश के बयान से ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए जिससे न्यायपालिका के पक्षपाती होने की धारणा बने।”