डेस्क:इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव ने बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी। उनकी इस टिप्पणी को लेकर विवाद छिड़ गया था और उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव संसद में रखा गया है। इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए जस्टिस यादव के समर्थन में एक जनहित याचिका मंगलवार को उच्च न्यायालय में दाखिल हुई, जिसे बेंच ने खारिज कर दिया। जस्टिस अताउर रहमान मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने यह कहते हुए अर्जी को खारिज कर दिया कि यह सुनवाई योग्य नहीं है। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि देश की व्यवस्था बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगी। उनका कहना था कि परिवार भी बहुमत के हिसाब से चलता है तो देश इस तरह चलाने में क्या गलत है।
इसके अलावा उन्होंने मुस्लिमों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी और ‘कठमुल्ला’ शब्द का प्रयोग किया था। इसे लेकर विवाद छिड़ गया था। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी शेखर कुमार यादव की टिप्पणी पर सवाल किया था औऱ कहा कि जज का बर्ताव ऐसा नहीं हो सकता। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने जस्टिस शेखर यादव को बुलाकर इस मामले में सफाई भी मांगी थी। वहीं राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल की पहल पर सदन में उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव भी रखा गया है। इसी प्रस्ताव को खारिज करने की मांग को लेकर याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल की गई थी, जिसे बेंच ने खारिज कर दिया। कपिल सिब्बल के अलावा 54 अन्य सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन किया है।
हाई कोर्ट में दाखिल अर्जी में वकील अशोक पांडेय ने कहा कि उच्च न्यायालय राज्यसभा चेयरमैन को आदेश दे कि वह इस प्रस्ताव को आगे न बढ़ाए। लेकिन अदालत ने अर्जी को ही सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया। याची अशोक पांडेय ने कहा कि यादव ने जो टिप्पणी की थी, वह हिंदू के तौर पर थी। उन्होंने कठमुल्ला शब्द का इस्तेमाल किया, जिस पर आपत्ति जताई जा रही है। लेकिन यह शब्द हेट स्पीच के दायरे में नहीं आता।
अर्जी में वकील बोले- जस्टिस यादव की टिप्पणी सब मुसलमानों के लिए नहीं
अर्जी में कहा गया, ‘एक जज के तौर पर जस्टिस यादव जानते हैं कि कैसे कठमुल्लापन से मुस्लिम लड़कियों को स्कूल और कॉलेज जाने से रोका जा रहा है। उन्हें बुर्का और हिजाब पहनने पर मजबूर किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने चिंता जताई थी कि कैसे कुछ कठमुल्लापन वाले मुसलमान बाबर की तरफ खड़े हो गए, जिसने राम मंदिर ढहाया था।’ उन्होंने कहा कि ऐसे ही लोग थे, जिन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर और फिर श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को नुकसान पहुंचाने वाले औरंगजेब का भी साथ दिया।