भिवानी:पांव-पांव हरियाणा की धरती को माप रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के देदीप्यमान महासूर्य, वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी मंगलवार को भिवानी जिला मुख्यालय पर पधारे तो वर्षों से अपने आराध्य के आगमन की बाट जोह रहे भिवानीवासी हर्षविभोर हो उठे। आचार्यश्री के स्वागत में भिवानी का जन-जन उमड़ पड़ा। भव्य स्वागत जुलूस में विभिन्न स्कूलों के बच्चों के साथ भिवानी के सभी धर्म, समाज, वर्ग, समाजसेवी संगठनों के लोग आचार्यश्री की अगवानी में सोत्साह संभागी बने हुए थे। सभी महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी के झलक को लालायित नजर आ रहे थे। बुलंद जयघोष उनकी प्रसन्नता को दर्शा रहा था। मार्गस्थ राधास्वामी सत्संग आश्रम-दिनोद शाखा प्रमुख संत श्री हुजुर कंवर साहेब ने भी शांतिदूत आचार्यश्री हार्दिक स्वागत किया।
मंगलवार का दिन भिवानी के लिए अत्यंत मंगलकारी था। दिल्ली में अहिंसा यात्रा की भव्य सम्पन्नता की उपरान्त हरियाणा राज्य को अपने चरणरज से पावन बनाने वाले आचार्यश्री महाश्रमणजी मंगलवार को भिवानी जिला मुख्यालय पर पधार रहे थे, इसे लेकर मानों भिवानी जिला हर्षविभोर बना हुआ था। प्रातः की मंगल बेला में आचार्यश्री ने
नौरंगाबाद से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री जैसे-जैसे भिवानी की ओर बढ़ रहे थे भिवानीवासियों का उत्साह भी वैसे ही बढ़ता जा रहा था। तीव्र धूप और पसीने से तर-बतर करने वाली गर्मी में भी लोग आचार्यश्री की आशीषवृष्टि से शीतलता की अनुभूति कर रहे थे। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक अपने आराध्य की अभिवंदना में जुटे हुए थे। लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री भिवानी जिला मुख्यालय पर पधारे तो हर्षविभोर जनता के बुलंद जयघोष से पूरा नगर गुंजायमान हो उठा। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री प्रेक्षा विहार/तेरापंथ भवन परिसर में पधारे। जहां भिवानी के मुख्य उपायुक्त आरएस ढिल्लो, सहित अनेक सामाजिक, धार्मिक संगठनों से जुड़े हुए लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया।
विशाल प्रवचन पंडाल में उपस्थित जनमेदिनी को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में नैतिकता व ईमानदारी महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। जीवन में ईमानदारी रहे। ‘ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलसी’ को आचार्यश्री ने व्याख्यायित करते हुए कहा कि ईमानदारी एक सर्वोत्तम नीति है। जीवन में पैसा जैसे सम्पत्ति है, वैसे ही ईमानदारी भी जीवन एक सम्पत्ति है। कभी पैसा चला जाए तो ज्यादा नुक्सान नहीं होता, किन्तु जीवन से ईमानदारी चली जाए तो आत्मा का भी नुक्सान हो सकता है। ईमानदारी जाने से आत्मा भी मलीन बन जाती है। इसलिए आदमी को अपने जीवन में ईमानदारी, नैतिकता को महत्त्वपूर्ण स्थान देने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने दो शब्द अर्थ और अर्थाभास फरमाया और बताया कि न्याय, नीति से प्राप्त पैसा अर्थ और अन्याय अनीति से प्राप्त पैसा अर्थाभास होता है। आदमी प्रयास करे कि उसके घर मंे अशुद्ध पैसा न आए।
जीवन में कभी सत्य और लक्ष्मी में से किसी एक को चुनने की बात आए तो आदमी को सत्य का चुनाव करना चाहिए। जहां सच्चाई होती है, वहां लक्ष्मी का स्वतः चली आती हैं। जीवन में पैसा आगे नहीं जा सकता, सच्चाई, ईमानदारी और धर्म साथ में आगे भी जाने वाले हो सकते हैं। भिवानी के दुकानदार ईमानदार हों और ग्राहक भी ईमानदार हों तो अर्थ की अशुद्धता से बचा जा सकता है। आचार्यश्री ने भिवानी आगमन के संदर्भ में कहा कि आज हमारा भिवानी में आना हुआ है। भिवानी के लोगों में विद्या के साथ-साथ चारित्र का भी अच्छा विकास होता रहे।
कार्यक्रम में उपस्थित भिवानी के मुख्य उपायुक्त श्री आर.एस. ढिल्लो ने कहा कि मैं भिवानी की जनता की ओर से महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी का हार्दिक स्वागत करता हूं। आपसे प्राप्त प्रेरणा लोगों का कल्याण करने वाली है। आपका मंगल आशीर्वाद जनता को सैदव प्राप्त होता रहे। पूर्व विधायक श्री शशिरंजन परमार, मुख्य समाजसेवी श्री बृजलाल सर्राफ, निरंकारी समाज के प्रमुख श्री बलदेवराज नागपाल, संत चरणदासजी ने आचार्यश्री के स्वागत में अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। तेरापंथी सभा-भिवानी के अध्यक्ष श्री महेन्द्र जैन, प्रेक्षा विहार के प्रबन्धक श्री अशोक जैन, जीवन विज्ञान योग-ध्यान ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री शिवरतन गुप्ता ने भी अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी। तेरापंथी समाज-भिवानी ने आचार्यश्री के अभिनंदन में स्वागत गीत का संगान किया।