प्रदोष का व्रत महीने में दो बार रखा जाता है। इस बार सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है, जिससे दिन का महत्व काफी बढ़ गया है। सोम प्रदोष का व्रत रखने या इस दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव का आशीर्वाद बना रहता है। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत के दिन पूजा का मुहूर्त व रुद्राभिषेक करने की विधि-
सोम प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक कैसे करें? जानें सम्पूर्ण विधि
संध्या के समय स्नान आदि से निवृत होकर सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें। इसके बाद भगवान शिव, पार्वती सहित सभी देवता और नौ ग्रहों का ध्यान कर रुद्राभिषेक करने का संकल्प लें। मिट्टी से शिवलिंग बनाएं और उत्तर दिशा में स्थापित करें। रुद्राभिषेक करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए इस विधि की शुरुआत करें। सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान करवाएं। इसके बाद गन्ने के रस, गाय के कच्चे दूध, शहद, घी और मिश्री से शिवलिंग का अभिषेक करें। हर सामग्री से अभिषेक करने से पहले और बाद में पवित्र जल या गंगाजल चढ़ाएं। प्रभु पर बिल्व पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, काला तिल, भांग, धतूरा, आंक, शमी पुष्प व पत्र, कनेर, कलावा, फल, मिष्ठान और सफेद फूल अर्पित करें। इसके बाद शिव परिवार सहित समस्त देवी-देवताओं की पूजा करें। प्रभु को भोग लगाएं। अंत में पूरी श्रद्धा के साथ शिव जी की आरती करें। अंत में क्षमा प्रार्थना करें। इस क्रिया के दौरान अर्पित किया जाने वाला जल या अन्य द्रव्यों को इकट्ठा कर घर के सभी कोनों और सभी लोगों पर छिड़के और इसे प्रसाद स्वरूप में भी ग्रहण कर सकते हैं। रुद्राभिषेक खासतौर पर विद्वान् पंडित से करवाना अत्यंत सिद्ध माना जाता है। हालांकि, आप स्वयं भी रुद्राष्टाध्यायी का पाठ कर इस विधि को संपूर्ण कर सकते हैं।
पूजा -मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 26, 2025 को 08:54 पी एम
त्रयोदशी तिथि समाप्त – जनवरी 27, 2025 को 08:34 पी एम
प्रदोष पूजा मुहूर्त – 05:56 पी एम से 08:34 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 38 मिनट्स
शिव जी का रुद्राभिषेक करते समय शिव मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।