डेस्क:छह दशकों के लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस पार्टी 8 और 9 अप्रैल को गुजरात के अहमदाबाद में अपना राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करने जा रही है। यह अधिवेशन पार्टी के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, जिसमें संगठन के भविष्य, भाजपा के खिलाफ रणनीति और जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने पर मंथन होगा।
गुजरात में 63 साल बाद अधिवेशन
गुजरात में कांग्रेस का पिछला अधिवेशन 1961 में भावनगर में हुआ था। उससे पहले 1938 में सूरत जिले के हरिपुरा में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में हुए ऐतिहासिक अधिवेशन में “पूर्ण स्वराज” प्रस्ताव पारित किया गया था। इस बार कांग्रेस का उद्देश्य गुजरात में फिर से अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराना और पार्टी कैडर में नई ऊर्जा का संचार करना है।
सीडब्ल्यूसी की बैठक से शुरुआत
8 अप्रैल को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक शाहीबाग स्थित सरदार स्मारक में आयोजित होगी। इसके अगले दिन यानी 9 अप्रैल को साबरमती नदी किनारे राष्ट्रीय अधिवेशन होगा, जिसमें देशभर से लगभग 3,000 प्रतिनिधियों के शामिल होने की संभावना है। अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी सदस्य और विशेष आमंत्रित नेता मौजूद रहेंगे।
गुजरात का चयन क्यों?
गुजरात लंबे समय से भाजपा का मजबूत गढ़ रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह की जन्मभूमि भी है। ऐसे में कांग्रेस इस अधिवेशन के जरिए प्रदेश में यह संदेश देना चाहती है कि पार्टी अभी भी मुकाबले में है और अपनी पहचान कायम रखने को तैयार है।
वरिष्ठ पत्रकार मीनू जैन के अनुसार, 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के कारण कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ और पार्टी महज 17 सीटों पर सिमट गई। अब उसके पास केवल 12 विधायक ही हैं। लेकिन अब दिल्ली में AAP की हार के बाद कांग्रेस को उम्मीद है कि गुजरात में फिर से पैर जमाने का यह सही समय है।
जिला स्तर पर संगठन को मजबूती
हाल ही में कांग्रेस ने दिल्ली में तीन बैचों में 862 जिला अध्यक्षों से मुलाकात की थी और उन्हें “अभूतपूर्व अधिकार” देने के संकेत दिए थे। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने इन नेताओं से कहा कि पार्टी की विचारधारा और कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाने में उनकी भूमिका अहम है। 2025 को संगठनात्मक पुनर्गठन का वर्ष मानते हुए पार्टी गुजरात पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है।
आंदोलन और जमीनी नेता होंगे प्राथमिकता में
राहुल गांधी ने मार्च में गुजरात दौरे के दौरान कहा था कि पार्टी में ऐसे लोगों की जरूरत है जो निडर हैं और जिनका जनता से सीधा जुड़ाव है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार जैन का कहना है कि कांग्रेस ऐसे नेताओं को आगे लाना चाहती है जो सरकारी एजेंसियों के दबाव से न डरें और संगठन के लिए समर्पित हों।
इंडिया गठबंधन की दिशा क्या होगी?
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद इंडिया गठबंधन निष्क्रिय हो गया है और अब वह केवल संसद में मुद्दों पर ही दिखता है। वरिष्ठ पत्रकार युसूफ अंसारी के अनुसार, अधिवेशन में इस बात पर भी चर्चा होगी कि कांग्रेस भविष्य में गठबंधन के साथ चलेगी या अकेले चुनाव लड़ने की दिशा में कदम बढ़ाएगी।
हालांकि उनका मानना है कि फिलहाल कांग्रेस गठबंधन को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं लेगी क्योंकि अभी लोकसभा चुनाव में समय है। वहीं कांग्रेस पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव तक सीमित था, और विधानसभा चुनावों में वह स्वतंत्र रणनीति अपना सकती है।
कुल मिलाकर, अहमदाबाद का यह राष्ट्रीय अधिवेशन कांग्रेस के लिए सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि संगठन के पुनर्निर्माण, रणनीतिक बदलाव और राजनीतिक संदेश देने का एक मजबूत मंच बनने जा रहा है। पार्टी गुजरात से न केवल भाजपा को चुनौती देने का इरादा रखती है, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं को यह यकीन भी दिलाना चाहती है कि कांग्रेस का पुनरुद्धार अब दूर नहीं।