इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सेना ने रविवार को कहा कि उसके सैनिकों ने 54 आतंकवादियों को मार गिराया, जो अफगानिस्तान से उत्तर-पश्चिमी सीमा पार कर पाकिस्तान में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे।
सेना के बयान के अनुसार, “पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के माध्यम से घुसपैठ की कोशिश कर रहे एक बड़े समूह की गतिविधि को सुरक्षा बलों ने शुक्रवार से रविवार के बीच खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पकड़ा।”
बयान में कहा गया, “यह आतंकवादी समूह अपने ‘विदेशी आकाओं’ के इशारे पर पाकिस्तान के भीतर बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए घुसपैठ कर रहा था।” सेना ने बताया कि इस अभियान में 54 आतंकवादी मारे गए।
तालिबान के 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता में लौटने के बाद से पाकिस्तान में आतंकवाद की घटनाओं में तेजी देखी गई है। इस्लामाबाद का आरोप है कि हमलावर अब अफगानिस्तान में पनाह ले रहे हैं।
एक अन्य घटनाक्रम में, भारत ने पाकिस्तान पर “सीमा पार आतंकवाद” का समर्थन करने का आरोप लगाया है। 22 अप्रैल को कश्मीर क्षेत्र में बंदूकधारियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के बाद भारत ने यह आरोप लगाया। पाकिस्तान ने किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है।
पाकिस्तानी सेना ने कहा कि घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकवादियों से “बड़ी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक सामग्री” भी बरामद की गई है।
यह घटना उस दिन के बाद सामने आई जब खैबर पख्तूनख्वा में तीन अलग-अलग झड़पों में 15 आतंकवादी मारे गए थे और दो सैनिक भी शहीद हो गए थे।
एएफपी के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष की शुरुआत से अब तक खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में सरकार से लड़ने वाले सशस्त्र समूहों द्वारा किए गए हमलों में 200 से अधिक लोग, ज्यादातर सुरक्षा बलों के जवान, मारे जा चुके हैं।
रविवार को लाहौर में संवाददाताओं से बात करते हुए गृह मंत्री मोशिन नकवी ने कहा कि आतंकवादियों के “विदेशी आका उन्हें पाकिस्तान में घुसने के लिए उकसा रहे हैं।”
नकवी ने कहा, “हमारे सैनिकों ने तीन दिशाओं से हमला किया और 54 आतंकवादियों को ढेर कर दिया।”
“यह अब तक के चल रहे अभियान में सबसे बड़ी सफलता है। इतने बड़े पैमाने पर आतंकवादी पहले कभी नहीं मारे गए।”
इस्लामाबाद स्थित सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज के अनुसार, पिछले साल पाकिस्तान में लगभग एक दशक में सबसे अधिक हिंसक वर्ष रहा, जिसमें ज्यादातर हमले पश्चिमी सीमा के पास हुए।
पाकिस्तान ने तालिबान सरकार पर अफगान धरती से संगठित हो रहे आतंकवादियों के सफाए में विफल रहने का आरोप लगाया है, जिसे काबुल लगातार खारिज करता रहा है।