डेस्क:सब्जियों और अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से खुदरा महंगाई में उछाल देखने को मिल सकता है। सितंबर के लिए जारी होने वाले आंकड़ों में खुदरा महंगाई 5.1 प्रतिशत रह सकती है, जो इसका तीन माह का उच्चतम स्तर होगा। मिंट के सर्वे में 20 अर्थशास्त्रित्त्यों ने यह अनुमान जताया है। खुदरा और थोक महंगाई के आंकड़े आज जारी होंगे।
इससे पहले खुदरा महंगाई लगातार दो महीने से चार फीसदी के नीचे बनी हुई थी, जो आरबीआई के तय दायरे के भीतर थी। मिंट के सर्वे में शामिल अधिकांश अर्थशास्त्रित्त्यों के अनुसार, सितंबर की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति 4.7 प्रतिशत और 5.3 प्रतिशत के बीच रह सकती है। केवल तीन अर्थशास्त्रित्त्यों ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति पांच फीसदी से नीचे रहेगी।
आरबीआई की आशंका
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी से सितंबर में महंगाई में उछाल की बात कही थी। दास के अनुसार, प्रतिकूल मौसम और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की स्थिति में मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम है। अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में काफी उतार-चढ़ाव रहा है। उनका कहना था कि अन्य कारकों में प्याज, आलू और चना दाल के उत्पादन में कमी भी महंगाई में उछाल की वजह होगी।
महंगाई अनुमान बरकरार
आरबीआई ने हाल में हुई मौद्रिक समीक्षा बैठक में वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। महंगाई दर के दूसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में भारत के आर्थिक अनुसंधान प्रमुख अनुभूति सहाय ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी आरबीआई के लिए चिंता बनी हुई है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में सब्जियों की कीमतों में वृद्धि देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि हालांकि अच्छी खरीफ फसल, अनाज के पर्याप्त भंडार और आगामी रबी मौसम में अच्छी फसल की संभावना से इस वर्ष की चौथी तिमाही में कुल मुद्रास्फीति की दर में क्रमिक रूप से नरमी आने का अनुमान है।
रेपो रेट पर फैसला जल्द
रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रस्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। जुलाई और अगस्त में यह चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही थी। विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई इस साल दिसंबर या फरवरी 2025 में रेपो दर में कमी कर सकता है लेकिन इसके लिए महंगाई की स्थिति अनुकूल हो।