राजस्थान में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल के इस्तीफे सियासी मायने निकाले जा रहे है। उपचुनाव से पहले मीणा के इस्तीफे से सत्ता और संगठन की टेंशन बढ़ गई है। ऐसे में अब भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुटी है.राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि किरोड़ी लाल ने इस्तीफा देकर अपना दम दिखाया है। क्योंकि बीजेपी में गुटबाजी के शिकार हो रहे थे। राजनीति में सीएम भजनलाल किरोड़ी से काफी जूनियर है। ऐसे में भजनलाल कैबिनेट में काम करने से खुद के असहज महसूस कर रहे थे। हालांकि, किरोड़ी लाल ने इस बात से इंकार किया है कि मुख्यमंत्री से किसी तरह के मतभेद है।
दूसरी तरफ सियासी जानकारों का कहना है कि बतौर कृषि मंत्री किरोड़ी लाल 6 महीने में छाप नहीं छोड़ पाए। जबकि किसानों की कर्जमाफी को लेकर भी बेतुके बयान देकर चर्चा में आए गए थे। किसानों की आय दुगुनी करने का वादा धरातल पर दिखाई नहीं दिया। विश्लेषकों के मुताबिक पूर्वी राजस्थान में किरोड़ी लाल की जमीन खिसकती चली गई। उनके गृह जिले दौसा से कांग्रेस ने बड़े अंतर से बीजेपी का हरा दिया। सवाई माधोपुर, करौली और दौसा किरोड़ी के प्रभाव वाले इलाके माने जाते है। लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी की इन जिलों में करारी हार हुई थी।
उल्लेखनीय है कि दौसा सीट पर हुई हार की जिम्मेदारी लेते हुए मीणा ने इस्तीफा दिया है, क्योंकि मीणा ने परिणाम से पहले ही बयान दिया था कि अगर दौसा सीट से भाजपा उम्मीदवार कन्हैयालाल मीणा चुनाव हारेंगे तो वो मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। भाजपा की दौसा में हुई हार के बाद से ही विपक्ष लगातार किरोड़ीलाल मीणा पर इस्तीफे का दबाव बना रहा था। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के ठीक एक महीने बाद यानी 4 जुलाई को किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी। मीणा ने खुद अपने इस्तीफे की घोषणा कर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अभी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों एक कार्यक्रम के पोस्टर लॉन्च के दौरान मीणा ने मुख्यमंत्री भजनलाल से मुलाकात की थी। उसी दौरान उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन विधानसभा के बजट सत्र के चलते रणनीति के तहत इसे गोपनीय रख गया। अब हाईकमान स्तर पर इस पर फैसला होगा। उपचुनाव से ठीक पहले मीणा के इस कदम से भाजपा को न केवल उपचुनाव में बल्कि पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में भी नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।
अपने इस्तीफे के बाद मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि वो अपने प्रभाव वाली सीटों को जीता नहीं पाए, इसलिए नैतिक जिम्मेदारी के साथ उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। मीणा ने कहा कि सात सीटों पर उनका विशेष प्रभाव था, जिसमें से चार पर पार्टी को जीत और तीन में हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। अब आगे संगठन ने दौसा विधानसभा सीट पर उपचुनाव की जिम्मेदारी दी है। ऐसे में इस सीट पर भाजपा की जीत हो, इसके लिए काम करेंगे।
बताया जा रहा है कि इस्तीफे की चर्चओं के बीच मीणा दो दिन दिल्ली में थे। इस दौरान संगठन के नेताओं से उनकी बातचीत भी हुई। हालांकि, संगठन महामंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी थी, लेकिन अब मीणा के इस फैसले के बाद भाजपा पूरी तरह से डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि उन्हें अभी किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे की पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन अगर ऐसा कुछ हुआ है तो उसको लेकर बात करेंगे। किरोड़ीलाल मीणा पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। ऐसे में इस्तीफे के पीछे की वजहों पर पार्टी स्तर पर बात होगी।