डेस्क। खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा लगातार झूठ बोल रहा है। पहले उसने बिना कोई सबूत दिए भारत पर निज्जर की हत्या करवाने का आरोप लगाया। इसके बाद जब भारतीय जांच एजेंसी एनआईए ने हाल ही में कनाडा से उसके मृत्यु प्रमाणपत्र की मांग की तो वह भी देने से इनकार कर दिया।
आपको बता दें कि हरदीप सिंह निज्जर भारतीय मूल का कनाडाई नागरिक था। जून में उसकी हत्या कर दी गई। निज्जर पर भारत में एनआईए द्वारा जांच किए जा रहे नौ मामलों में आरोप लगाए गए थे। NIA ने कनाडा से निज्जर के मृत्यु प्रमाणपत्र की इसलिए मांग की थी ताकि भारत की अदालतों में उसके खिलाफ जारी मामलों में कोर्ट को इस बात से अवगत कराया जाए।
एनआईए के सूत्रों का कहना है कि भारत के द्वारा की गई इसकी मांग पर कनाडाई अधिकारियों ने कुछ सवाल उठाए। कनाडा ने पूछा कि भारत को अपने नागरिक का मृत्यु प्रमाणपत्र मांगने का अधिकार क्यों होना चाहिए। एक अधिकारी ने कहा, “इसके बाद उन्होंने निज्जर का मृत्यु प्रमाणपत्र साझा करने से इनकार कर दिया।”
निज्जर की हत्या ने भारत और कनाडा के बीच एक कूटनीतिक विवाद को जन्म दिया। कनाडा ने भारतीय एजेंसियों की संलिप्तता का आरोप लगाया। भारत ने इस तुरंत खारिज कर दिया और कनाडा से सबूत की मांग की। यह विवाद हाल ही में तब बढ़ गया जब कनाडा ने निज्जर हत्या की जांच में वरिष्ठ भारतीय राजनयिकों पर इसमें दिलचस्पी लेने के आरोप लगाए। भारत ने उन राजनयिकों को वापस बुला लिया।
आपको बता दें कि NIA को अभी तक एक और खालिस्तान समर्थक आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू (अमेरिकी नागरिक) के खिलाफ इंटरपोल का रेड-कॉर्नर नोटिस प्राप्त करने में सफलता नहीं मिली है। एनआईए पन्नू के खिलाफ खालिस्तान आतंक के छह मामलों की जांच कर रही है और उसने अब तक चंडीगढ़, अमृतसर और पठानकोट में उनकी तीन संपत्तियों को आतंकवाद के आय के रूप में अटैच किया है।
दिलचस्प बात यह है कि जून 2023 में न्यूयॉर्क में पन्नू की जान लेने का प्रयास किया गया था। अमेरिका ने एक भारतीय अधिकारी की संलिप्तता का दावा किया। पिछले हफ्ते एक अनसील्ड आरोप पत्र से पता चला कि अमेरिका ने विकाश यादव के खिलाफ आरोप लगाया है। यादव को भारत की अनुसंधान और विश्लेषण विंग (RAW) का पूर्व अधिकारी बताया गया है।