कोटा:राजस्थान के कोटा शहर के बीच से निकल रही चम्बल नदी के किनारे स्थापित थर्मल सुपेर पावर स्टेशन में 39 साल से साथ निभा रही 4 इकाइयों के बंद होने का अब समय आ गया है। इसके लिए आरवीयूएनएल ने तैयारियां शुरू कर दी है और आंकलन के लिए 6 सदस्यीय टीमों का गठन कर दिया है। इन इकाइंयों के बंद होने से बिजली उत्पादन आधा हो जाएगा और बेरोजगारी के साथ दूसरी समस्याऐं भी शुरू हो जाएगी। सबसे बड़ी बात ये है कि इन चारों यूनिट से पूरे प्रदेश की जनता का लगाव जुड़ा हुआ है।
कोटा थर्मल की चारों यूनिट को बंद करने के लिए सरकार अपने तर्क है कि यहा बिजली उत्पादन महंगा पड़ रहा है। यहां एक यूनिट बिजली उत्पादन की लागत 3.40 रुपये आती है। जबकि छबड़ा में ये लागत 2.40 और कवाई के प्लांट में 2.20 रुपये आती है। सरकार का नियम है कि जहां से सस्ती मिलें वहीं से खरीदनी होगी। सरकार का मानना है कि जो यूनिट 25 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी है उसको बंद कर देना चाहिए। क्यांेकि सरकार इन यूनिटों को चलाने योग्य नहीं मान रही है। फिलहाल ये चारों यूनिट एक्टेंशन पर चल रही है। सरकार का ये भी मानना है कि इन चारों इकाइयों के नवीनीकरण का विकल्प नहीं है। क्योंकि जितनी लागत इनके नवीनीकरण में खर्च होगी उतने में नया प्लांट स्थापित हो जाएगा।
जानकारो की माने तो कोटा थर्मल की पहली और दूसरी यूनिट 39 सालो से कोटा सहित पूरे प्रदेशवासियों का साथ निभा रही है। ये चारों इकाइयां आज भी पूरी क्षमता के साथ काम रही है। इस कारण प्रदेश की जनता को इनसे काफी लगाव है। अभी थर्मल की 7 यूनिटों से 1240 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। ऐसे में अगर इन 4 इकाइयां को बंद कर दिया जाता है तो बिजली का उत्पादन आधा रह जाएगा और इन बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि इकाइंयो के बंद होने से बेरोजगारी भी बढ़ जाएगी।
देश सहित पूरे प्रदेश की शान कही कोटा की थर्मल इन दिनों चर्चाओं का विषय बना हुआ है। इस थर्मल में 7 यूनिट काम कर रही है जिसकी सभी इकाइयां अपने क्षमता के आधार पर बिजली का उत्पादन करती है। साल 1983 से शुरू हुई थर्मल की पहली और दूसरी इकाई की बिजली उत्पादन करने की क्षमता 110 मेगावाट की है। जिसके बाद साल 1988 और 1989 में थर्मल की तीसरी और चैथी इकाईयों को शुरू किया गया जिसकी बिजली उत्पादन की क्षमता 210 मेगावाट की है। इसी तरह 2003 और 2009 में पांचवीं और छठी इकाइयों को शुरू किया गया था जो कि 195 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन कर सकती है। वहीं वर्तमान के हालातो की बात करे तो जिन चार इकाइयों को बंद करने की तैयारी की जा रही है वो इकाइयों अकेले ही वर्तमान में 640 मेगावाट बिजली उत्पादन कर रही है।