डेस्क: मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले के मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) इस घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ केस दर्ज कर सकता है। पीटीआई न्यूज एजेंसी ने सोमवार को सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बी.एम. पार्वती, बहनोई मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू ने कथित तौर पर जमीन खरीदी थी, जिसे स्वामी ने बाद में सीएम की पत्नी को उपहार में दे दिया था। मल्लिकार्जुन स्वामी का नाम हाल ही में लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में भी शामिल किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ईडी इस मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज कर सकती है। ईडी को आरोपियों से पूछताछ करने और जांच के दौरान संपत्ति कुर्क करने का भी अधिकार है। सिद्धारमैया ने इस मामले में किसी घोटाले से इनकार करते हुए कहा है कि उन्हें राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष उनके बढ़ते प्रभाव से घबराया हुआ है और इसी कारण यह मामला सामने लाया गया है। सिद्धारमैया ने यह भी साफ किया कि वह किसी भी अदालत के जांच आदेश के बावजूद इस्तीफा नहीं देंगे, क्योंकि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वह कानूनी रूप से इस मामले का सामना करेंगे।
MUDA घोटाले का मामला क्या है?
इस घोटाले में आरोप है कि MUDA ने मुख्यमंत्री की पत्नी बी.एम. पार्वती की जमीन का अधिग्रहण किया था और मुआवजे के तौर पर मैसूरु के पॉश इलाके में उन्हें भूखंड आवंटित किए थे। आरोप है कि पार्वती को दिए गए भूखंड की कीमत अधिग्रहित जमीन की तुलना में काफी अधिक थी। MUDA ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले उन्हें 50:50 के अनुपात में विकसित भूखंड आवंटित किए, जहां आवासीय लेआउट विकसित किए गए थे। इस योजना के तहत उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की गई, जिनकी अविकसित जमीन ली गई थी। विवाद यह है कि कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 की 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।