-सरदारशहर के लाल अब सरदारशहर से बस एक पड़ाव दूर
-जयसंगसरवासियों को आचार्यश्री ने नशामुक्ति का कराया संकल्प
जयसंगसर, चूरु (राजस्थान): देश-दुनिया को सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की पावन प्रेरणा प्रदान करने, एक धर्मसंघ के अनुशास्ता होते हुए भी जन-जन के अधिनायक बनने वाले, मानव-मानव को सन्मार्ग दिखाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के देदीप्यमान महासूर्य, वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अब सरदारशहर प्रवेश से महज एक पड़ाव ही दूर हैं।
आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए मेलूसर से प्रातः की मंगल बेला गतिमान हुए तो रविवार होने के कारण सरदारशहरवासी विहार से पहले ही पहुंच गए थे। जैसे-जैसे आचार्यश्री आगे विहार कर रहे थे मानों सरदारशहर की जनता सरदारशहर के सरदार के स्वागत को मानों आज ही उपस्थित हुई जा रही थी। इससे धीरे-धीरे काफिला बढ़ता चला गया। तीव्र धूप के बावजूद आचार्यश्री ने लगभग तेरह किलोमीटर का विहार जयसंगसर में पधारे तो सौभाग्य से ऐसा सुअवसर प्राप्त कर गांववासी खुशी से झूम उठे। ग्रामीण जनता ने आचार्यश्री का भव्य स्वागत किया। आचार्यश्री गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय परिसर में पधारे।
आचार्यश्री ने उपस्थित ग्रामीण जनता व समुपस्थित सरदारशहरवासियों को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में जय और पराजय की बात होती है। राजतंत्र था तो पहले राजा पेट से आते थे और अब लोकतंत्र में जनता के वोटों से बंद पेटी से आते हैं। चुनाव में भी जय-पराजय की बात होती है। जहां संघर्ष की बात आती है तो वहां भी जय-पराजय की बात सुनी जाती है। अध्यात्म जगत में भी जय-पराजय की बात आती है। अपनी चेतना, मन को जीतने का प्रयास करने की प्रेरणा प्रदान की गई है। इसके लिए शक्ति, सही तरीका और सही दिशा में पुरुषार्थ अपेक्षित होता है। यदि सही दिशा और सही पुरुषार्थ न हो तो परिणाम प्राप्त नहीं किया जा सकता। अपनी चेतना पर विजय प्राप्त करने के लिए आदमी को अपने मोहनीय कर्म और कषायों पर चोट करने का प्रयास करना चाहिए और उन्हें कम अथवा समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए। मोहनीय कर्म और कषाय दूर हो जाए तो चेतना पर विजय प्राप्त हो सकती है और आत्मकल्याण की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। मानव जीवन को मुक्ति का द्वार कहा गया है। इसलिए आदमी अहिंसा, संयम के साथ यथावसर धर्म-साधना आदि के माध्यम से अपनी आत्मा, चेतना पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करे तो कल्याण की बात हो सकती है।
आचार्यश्री ने जयसंगसर आगमन के संदर्भ में कहा कि आज यहां आना हुआ है। गांव के लोगों का व्यवहार धर्म से भावित रहे। आचार्यश्री ने ग्रामवासियों को पावन प्रेरणा प्रदान कर नशामुक्ति का संकल्प स्वीकार करने का आह्वान किया तो उपस्थित ग्रामवासियों ने सहर्ष अपने स्थान पर खड़े होकर आचार्यश्री से नशामुक्ति का संकल्प स्वीकार किया।
आठ वर्ष आचार्यश्री के दर्शनार्थ पहुंची साध्वी पावनप्रभाजी आदि पांच साध्वियों को आचार्यश्री से आशीष प्रदान किया। अपने आराध्य के लम्बे समय बाद दर्शन पाकर हर्षित साध्वियों ने गीत तथा वक्तव्य के माध्यम से अपने आंतरिक भावों की अभिव्यक्ति दी। पूर्व सरपंच श्री केसरमल सारण, श्री भंवरलाल नखत, पूर्व प्रधान श्री ताराचंद सारण, विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री मेघदान चारण ने अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ कन्या मण्डल-सरदारशहर, सरदारशहर ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भी गीत और ‘महाश्रमण अष्टकम्’ की प्रस्तुति दी।
कल होगा ‘अध्यात्म का शांतिपीठ’ में मंगल पदार्पण
अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमण का कल सरदारशहर स्थित तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाचार्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के समाधि स्थल ‘अध्यात्म का शांतिपीइ’ में मंगल पदार्पण होगा। जहां 26 अप्रैल को आचार्य महाप्रज्ञजी का 13वां महाप्रयाण दिवस भी समायोजित है। दो दिवसीय प्रवास के पश्चात 27 अप्रैल को आचार्यश्री महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ सरदारशहर नगर में मंगल प्रवेश करेंगे।