डेस्क:स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सोमवार को ओपन लेटर लिखर ऑनलाइन टिकट बुकिंग पोर्टल बुक माय शो पर निशाना साधा। दरअसल, पोर्टल ने कामरा के कंटेंट को अपने प्लेटफार्म से हटा दिया है और कलाकारों की सूची में भी उनका नाम नहीं है। अब कॉमेडियन ने पोर्टल से अपने शो के लिए एकत्र किए गए दर्शकों की कॉन्टैक्ट इन्फॉर्मेशन मांगी है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम लिए बिना उन पर कटाक्ष करने से यह पूरा विवाद खड़ा हुआ। कामरा ने फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के एक हिंदी गाने की पैरोडी का इस्तेमाल किया जिसमें उन्होंने शिंदे को कथित तौर पर गद्दार कहा था।
कुणाल कामरा ने पत्र में लिखा, ‘मुझे पता है कि आपको स्टेट के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने पड़ते हैं। यह भी समझ आता है कि मुंबई लाइव एंटरटेनमेंट का बड़ा हब है। स्टेट का सपोर्ट न हो तो कोल्डप्ले और गन्स एन’ रोजेस जैसे आइकॉनिक शोज तो सपना ही रह जाएं। लेकिन अभी जो मामला है, वो ये नहीं कि आप मुझे डीलिस्ट कर सकते हो या करोगे। बात यह है कि आप शोज को लिस्ट करने का एक्सक्लूसिव राइट अपने पास रखते हो। आर्टिस्ट्स को अपने वेबसाइट्स से शोज लिस्ट करने की छूट न देकर, आपने मुझे उन तक पहुंचने से रोक दिया जिन ऑडियंस के लिए 2017 से 2025 तक परफॉर्म किया।’
कॉमेडियन ने लिखा कि आप शोज लिस्ट करने के लिए 10% रेवेन्यू काटते हो, जो आपका बिजनेस मॉडल है। मगर, पॉइंट यह है कि चाहे कॉमेडियन छोटा हो या बड़ा, हमें अपनी ऑडियंस तक पहुंचने के लिए हर दिन 6,000 से 10,000 रुपये एडवरटाइजिंग पर खर्च करने पड़ते हैं। ये एक्स्ट्रा बोझ हम आर्टिस्ट्स को ही उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘अब आप कह सकते हो कि डेटा प्रोटेक्शन का सवाल है, लेकिन असली सवाल ये है कि कौन सा डेटा किससे प्रोटेक्ट हो रहा है। यह तो बड़ी बहस का टॉपिक है।’
कुणाल कामरा ने कहा, ‘मैं जो मांग रहा हूं, वो सिंपल है: मेरे सोलो शोज से जो ऑडियंस का कॉन्टैक्ट इन्फॉर्मेशन आपने कलेक्ट किया, वो मुझे दे दो ताकि मैं अपनी जिंदगी गरिमा के साथ जी सकूं। अपने लिए जीविका कमा सकूं। सोलो आर्टिस्ट के तौर पर खासकर कॉमेडी की दुनिया में हम खुद शो भी हैं और प्रोडक्शन भी। अगर मैं पुणे कॉमेडी फेस्टिवल में 30 दूसरे आर्टिस्ट्स के साथ परफॉर्म करूं, तो वो कॉमेडी का कलेक्टिव डेटा कहलाएगा। लेकिन मेरे सोलो शोज वाले तो मेरी ऑडियंस हैं। अगर आप मुझे डीलिस्ट करते हो, तो कम से कम मुझे उन तक पहुंच का हक तो मिलना चाहिए। इसलिए, मेरी रिक्वेस्ट कि या तो मुझे डीलिस्ट मत करो, या फिर मेरे ऑडियंस का डेटा मुझे दे दो।’